मानसून की तेज बारिश ने नेपाल और चीन की सीमा पर गंभीर तबाही मचा दी है। नेपाल के रसुवा जिले में स्थित भोटेकोशी नदी ने भारी उफान लेकर नेपाल-चीन के बीच बने ‘मैत्री ब्रिज’ को बहा दिया है। इस भयंकर बाढ़ में 18 लोग लापता हो गए हैं, जिनमें 12 नेपाली और 6 चीनी नागरिक शामिल हैं। अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि इन सभी की तलाश जारी है, लेकिन अभी तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है।
भोटेकोशी नदी, जो चीन के हिमालयी क्षेत्र से होकर नेपाल की ओर बहती है, मानसून की लगातार बारिश की वजह से खतरे के निशान से ऊपर बह निकली। इसका असर इतना भयानक था कि रात के लगभग 3:15 बजे ‘मैत्री ब्रिज’ पानी के तेज बहाव के कारण टूट गया। यह पुल नेपाल की राजधानी काठमांडू से करीब 120 किलोमीटर दूर रसुवा जिले में स्थित था और दोनों देशों को जोड़ने वाला एक प्रमुख संपर्क मार्ग था।
रसुवा के मुख्य जिला अधिकारी अरुण पौडेल ने बताया कि इस बाढ़ ने इलाके में भारी नुकसान पहुंचाया है। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के आदेश जारी किए हैं। नेपाली सेना और पुलिस ने संयुक्त रूप से लापता व्यक्तियों की खोज शुरू कर दी है। साथ ही आसपास के इलाकों में बाढ़ से बचाव के लिए आपातकालीन कदम उठाए जा रहे हैं।
मैत्री ब्रिज का टूटना नेपाल और चीन के बीच आवागमन को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। यह पुल दोनों देशों के बीच व्यापार, पर्यटन और आपसी संपर्क का अहम हिस्सा था। पुल के टूटने के बाद क्षेत्र में यातायात ठप हो गया है, जिससे स्थानीय लोगों के जीवन में भी कई परेशानियां उत्पन्न हो गई हैं।
चीन के हिमालयी क्षेत्र में भी भारी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ा है, जो नेपाल की भोटेकोशी नदी में मिलकर और भी ज्यादा उफान ला रहा है। इस कारण नेपाल में नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिसने इलाके के कई हिस्सों में बाढ़ का खतरा पैदा कर दिया है।
इससे पहले भी मानसून के मौसम में नेपाल और आसपास के हिमालयी क्षेत्र बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित रहते हैं, लेकिन इस बार की बारिश और बाढ़ की तीव्रता पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत कार्यों को तेज कर रही हैं।
स्थानीय लोगों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है और उम्मीद जताई है कि जल्द से जल्द प्रभावितों को राहत पहुंचाई जाएगी। साथ ही, सरकार से ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए भविष्य में बेहतर पूर्वानुमान प्रणाली और संरचनात्मक सुधार की भी मांग की जा रही है।
इस बाढ़ ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता को उजागर कर दिया है, जहां पर्यावरणीय और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। नेपाल और चीन को मिलकर ऐसी घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है ताकि स्थानीय लोगों का जीवन सुरक्षित रहे और आर्थिक नुकसान भी न्यूनतम हो।