महाराष्ट्र के ठाणे में भाषा को लेकर हुई एक घटना के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। मीरा रोड इलाके में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कई कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। यह प्रदर्शन उस विवाद के बाद हुआ जिसमें कुछ एमएनएस कार्यकर्ताओं ने हिंदी बोलने वाले एक दुकानदार और उसके कर्मचारी को धमकाया और हमला किया था।
घटना रविवार रात की है, जब मीरा रोड पर स्थित ‘जोधपुर स्वीट शॉप’ के मालिक 48 वर्षीय बाबूलाल चौधरी और उनके कर्मचारी बघाराम के साथ सात एमएनएस कार्यकर्ताओं ने मारपीट की। विवाद की वजह यह थी कि बघाराम ने हिंदी में बातचीत की थी, जिस पर एमएनएस कार्यकर्ताओं ने मराठी में बात करने को कहा। बाबूलाल चौधरी ने कहा कि महाराष्ट्र में कई भाषाएं बोली जाती हैं और हर किसी को अपनी भाषा बोलने का अधिकार है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिससे विवाद और बढ़ गया।
इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि में एक बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने पहले प्राइमरी स्कूलों में हिंदी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में इस फैसले को वापस ले लिया गया। इस फैसले ने भाषा को लेकर पहले से चल रहे मतभेदों को और हवा दी है।
इस विवाद के बाद एमएनएस कार्यकर्ताओं ने मीरा रोड पर रैली निकालने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने इसे रोक दिया। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन के लिए इजाजत नहीं दी गई थी, क्योंकि ट्रैफिक और भीड़ के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती थी। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि एमएनएस नेताओं से प्रदर्शन का मार्ग बदलने को कहा गया, लेकिन उन्होंने नहीं माना, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है, बशर्ते पुलिस की अनुमति हो। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें महाराष्ट्र की जनता की सोच का पूरा पता है और ऐसी घटनाएं यहां स्वीकार्य नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि मराठी लोगों का दिल बड़ा है, वे छोटी सोच के नहीं हैं।
इस पूरे विवाद ने फिर से महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहे तनाव को उभार दिया है। कई एमएनएस कार्यकर्ता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि महाराष्ट्र में रहने वाले हर व्यक्ति को मराठी भाषा सीखनी चाहिए। उनका कहना है कि मराठी भाषा की गरिमा को बनाए रखना जरूरी है। वहीं, दूसरे पक्ष का तर्क है कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए और किसी भी भाषा के बोलने पर हिंसा या धमकी अस्वीकार्य है।
पुलिस ने एमएनएस कार्यकर्ताओं को वैन में बैठाकर थाने ले जाया, जहां से उनकी further जांच जारी है। इस घटना से इलाके में सुरक्षा की स्थिति को लेकर चिंता भी बढ़ गई है। स्थानीय लोगों ने शांति बनाए रखने की अपील की है और प्रशासन से इस मुद्दे को सुलझाने की मांग की है।
भाषा विवाद अब सिर्फ एक स्थानीय मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह महाराष्ट्र के सामाजिक-सांस्कृतिक समीकरणों को चुनौती देने वाला विषय बन गया है। भविष्य में इस तरह के विवादों को रोकने के लिए आवश्यक है कि सभी समुदाय एक-दूसरे की भाषाओं और संस्कृति का सम्मान करें तथा संवाद के जरिए समाधान खोजें।