उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण में देरी हो रही है क्योंकि विद्युत नियामक आयोग ने मसौदे पर आपत्तियां उठाई हैं। मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों ने आयोग के साथ बैठक की लेकिन सरकार का जवाब अभी तक नहीं आया है। विद्युत कार्मिकों के संगठन निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम के 42 जिलों की बिजली आपूर्ति के निजीकरण संबंधी टेंडर प्रक्रिया फिलहाल जुलाई में शुरू होने की उम्मीद नहीं है।
निजीकरण के मसौदे पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा पिछले माह उठाई गई आपत्तियों का जवाब तो अब तक राज्य सरकार ने नहीं दिया, लेकिन सोमवार को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह गोमतीनगर स्थित आयोग मुख्यालय पहुंचे। मुख्य सचिव के साथ ही अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेन्द्र भूषण, पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डाॅ. आशीष कुमार गोयल व महकमे के अन्य अधिकारी भी रहे। खास बात यह रही कि आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार के साथ बैठक में राज्य निर्वाचन आयुक्त आरपी सिंह भी मौजूद रहे। सेवानिवृत आईएएस सिंह पूर्व में विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष रहे हैं।
गभग ढाई घंटे चली बैठक के बारे में अधिकृत तौर पर तो कोई जानकारी नहीं दी गई लेकिन सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा मंजूर किए गए जिस निजीकरण के मसौदे पर आपत्ति उठाते हुए आयोग ने पिछले महीने वापस कर दिया था, उसको लेकर ही बैठक में चर्चा हुई। तकनीकी सलाहकार द्वारा मसौदा के संबंध में प्रस्तुतीकरण करते हुए अध्यक्ष को अधिकारियों ने बताया गया कि आयोग की आपत्तियों का किस तरह से निस्तारण किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष ने इस संबंध में लिखित जवाब उपलब्ध कराने को कहा। लिखित जवाब का अध्ययन करने के बाद ही आयोग निजीकरण के मसौदे पर अंतिम रूप से अपना अभिमत सरकार को देगा। ऐसे में जुलाई में निजीकरण संबंधी टेंडर निकलने की अब उम्मीद नहीं है। उल्लेखनीय है कि निजीकरण का विरोध कर रहे विद्युत कार्मिकों के संगठनों ने टेंडर निकलते ही कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन की घोषणा कर रखी है। चूंकि चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दरों के संबंध में आयोग नौ जुलाई से 21 जुलाई तक सुनवाई करने में व्यस्त रहने वाला है इसलिए माना जा रहा है कि इस बीच सरकार का जवाब आने के बाद भी आयोग 21 जुलाई से पहले मसौदे पर अपना अभिमत देना वाला नहीं है। उत्त प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इस तरह से पहली बार मुख्य सचिव के आयोग पहुंचने पर कहा कि तमाम वित्तीय व संवैधानिक कमियों के बावजूद निजीकरण के लिए आयोग पर दबाव बनाने की साजिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि नियामक आयोग किसी दबाव में आए बिना स्वतंत्र होकर निर्णय ले। वर्मा ने बताया कि नौ जुलाई को केस्को कानपुर में आयोग की सुनवाई में इसे विस्तार से बताएंगे।