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प्रयागराज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू ) के कुलपति चयन मामले में दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) कुलपति प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर शनिवार को उनके पक्ष में आया है, वे कुलपति बनी रहेंगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल में फैसला सुरक्षित रखा था। यूनिवर्सिटी बिरादरी की फैसले पर नजर थी।
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने प्रो. डाक्टर मुजाहिद बेग, डा. मुजफ्फर रब्बानी व अन्य तथा सैयद अफजल मुर्तजा रिजवी की याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि प्रो. नईमा खातून की कुलपति नियुक्ति योग्यता पर सवाल नहीं है। विजिटर को निर्णय लेना है। इस पर भी सवाल नहीं है। कुलपति को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं।
कार्यकारिणी परिषद का अध्यक्ष होने के नाते कुलपति ने नामों की संस्तुति की। विजिटर कुलपति की नियुक्ति करेंगे। सिर्फ दावेदार के पति कुलपति हैं, इस कारण नियुक्ति प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। खंडपीठ ने नौ अप्रैल को बहस पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया गया था।
जेएन मेडिकल कॉलेज के प्रो. मुजाहिद बेग ने कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया था। उनका कहना है कि कार्यवाहक कुलपति प्रो.मोहम्मद गुलरेज की पत्नी प्रो. नईमा खातून का कुलपति के रूप में चयन करने के लिए नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। कार्यवाहक कुलपति चयन प्रक्रिया की अध्यक्षता कर रहे थे और उनकी पत्नी प्रो. नईमा खातून भी पद की दावेदार हैं। हाई कोर्ट में 23 नवंबर 2023 से मामले की सुनवाई शुरू हुई थी।
नियमों का उल्लंघन का मामला
जेएन मेडिकल कॉलेज के प्रो. मुजाहिद बेग का कहना है कि कार्यवाहक कुलपति प्रो.मोहम्मद गुलरेज की पत्नी प्रो. नईमा खातून का कुलपति के रूप में चयन करने के लिए नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। कार्यवाहक कुलपति चयन प्रक्रिया की अध्यक्षता कर रहे थे और उनकी पत्नी प्रो. नईमा खातून भी पद की दावेदार हैं। कुछ अन्य दावेदारों की याचिकाएं भी इस मामले से संबद्ध (कनेक्ट) कर ली गई हैं। हाईकोर्ट में 23 नवंबर 2023 से मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। भारत सरकार व अन्य इसमें प्रतिवादी हैं।