नए मंदिर की सबसे खास बात है इसकी अनोखी वास्तुकला। इसे 108 संगमरमर के स्तंभों पर खड़ा किया जाएगा। हालांकि श्रद्धालुओं को इनमें से सिर्फ 84 पिलर ही नजर आएंगे, बाकी स्तंभ आंतरिक संरचना का हिस्सा होंगे। इस गुप्त डिज़ाइन को खास तौर पर आकर्षक और आध्यात्मिक रूप देने के लिए तैयार किया गया है।निर्माण के दौरान सबसे बड़ी प्राथमिकता समाधियों की पवित्रता को बनाए रखना है। बड़े दादाजी और छोटे दादाजी की समाधि स्थलों में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। निर्माण कार्य इस तरह किया जाएगा कि धार्मिक अनुशासन और आस्था को पूरी तरह सुरक्षित रखा जाए।वर्तमान ढांचे में नर्मदा मैया का मंदिर, बड़े दादाजी की समाधि के ठीक सामने स्थित है। लेकिन नए मॉडल में इसे दादाजी के बगल में स्थानांतरित किया जाएगा। नए मंदिर में तीन प्रमुख मंदिर होंगे — बड़े दादाजी, छोटे दादाजी और मां नर्मदा। इनमें बड़े दादाजी की समाधि बीच में, मां नर्मदा का मंदिर एक ओर, और छोटे दादाजी का मंदिर दूसरी ओर होगा।नए मंदिर में तीन मुख्य प्रवेश द्वार बनाए जाएंगे, जिससे भक्तों को अलग-अलग दिशाओं से प्रवेश की सुविधा मिल सकेगी। इसके अलावा, मंदिर के ऊपर तीन शिखर होंगे, जिनमें सबसे ऊंचा शिखर धूनीवाले दादाजी के मंदिर का होगा। यह शिखर ना सिर्फ मंदिर की ऊंचाई बढ़ाएगा, बल्कि उसकी दिव्यता को भी कई गुना बढ़ाएगा।
इस भव्य मंदिर का डिज़ाइन अक्षरधाम मंदिर के आर्किटेक्ट वीरेंद्र त्रिवेदी द्वारा तैयार किया जा रहा है। उनके अनुभव और दृष्टिकोण से मंदिर को न केवल एक धार्मिक स्थल, बल्कि एक आधुनिक स्थापत्य कला का केंद्र भी बनाया जाएगा।
खंडवा में स्थित धूनीवाले दादाजी का ऐतिहासिक दरबार अब नए और भव्य स्वरूप में नजर आएगा। करीब 50 साल पहले सीमेंट और कंक्रीट से बना यह मंदिर अब सफेद संगमरमर से दोबारा तैयार किया जा रहा है। इस निर्माण कार्य में लगभग 100 करोड़ रुपए की लागत आएगी और इसे साल 2028 के सिंहस्थ महाकुंभ से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
मंदिर के पुनर्निर्माण की आधारशिला 30 जून को भूमि पूजन के साथ रखी जा चुकी है। यह नया मंदिर ना सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र बनेगा, बल्कि स्थापत्य कला का बेमिसाल उदाहरण भी होगा।