अब तक एक दिन दर्शन करने वालों की यह सबसे बड़ी संख्या है। यात्रा के पहले दिन गुरुवार को 12,348 , शुक्रवार को 14,515, शनिवार को 21,109, रविवार को 21,512 तीर्थयात्री दर्शन के लिए पहुंचे थे।
पवित्र अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई थी। पहले 5 दिन में ही दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 93,336 पहुंच गई है। इस बीच 8,605 यात्रियों का छठा जत्था सोमवार को जम्मू से गांदरबल के बालटाल और पहलगाम के नुनवान बेस कैंप के लिए रवाना हुआ।
38 दिन तक चलने वाली यात्रा पहलगाम और बालटाल दोनों रूटों से होगी। यात्रा का समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा। पिछले साल यात्रा 52 दिन चली थी और 5 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए थे।
यात्रा पर आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 581 अलग-अलग सुरक्षा कंपनियों का चाक-चौबंद बंदोबस्त किया गया है। इसमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, आईबीटीपी और सीआईएसएफ समेत सुरक्षा बलों के जवान तैनात किए गए हैं।
बालटाल से लेकर गुफा तक के मार्ग पर हर दो किलोमीटर पर मेडिकल कैंप लगाए हैं। बीच में कई जगहों पर गोदाम भी चालू कर दिए गए हैं। इस साल गुफा की ओर जाने वाले रास्ते पर चार स्टैंड बनाए गए हैं, जबकि पैदल, घोड़े पर और पालकी में जाने वाले श्रद्धालुओं के रास्ते भी अलग-अलग बनाए गए हैं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हर 50 मीटर पर एक जवान तैनात है। मुंबई से आए तीर्थयात्री प्रसाद ठाकुर ने कहा कि जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं था उनका भी बहुत जल्दी रजिस्ट्रेशन हो गया है। आज 70 से 80 हजार तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए होंगे। भंडारे में खाने का अच्छा इंतजाम है। शौचालय से लेकर रहने तक की सारी व्यवस्था बढ़िया हैं।
यदि आप अमरनाथ सिर्फ धार्मिक यात्रा के रूप में आ रहे हैं तो बालटाल रूट बेहतर है। यदि कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से जीना चाहते हैं तो पहलगाम रूट बेहतर है। हालांकि इसकी हालत बालटाल रूट के विपरीत है।
गुफा से चंदनबाड़ी तक सफर थकान, धूलभरा है। रास्ता पत्थरों वाला और कहीं-कहीं बहुत संकरा है। 48 किमी लंबे जर्जर रूट पर कई जगह रेलिंग गायब है तो कहीं घोड़ों के लिए अलग रास्ता है।
भास्कर टीम ने दूसरे दिन का सफर पहलगाम रूट से किया। जैसे ही आप गुफा से इस रूट पर बढ़ते हैं, जवान डॉग स्क्वॉड के साथ मिल जाएंगे। पंचतरणी से आगे बुग्यालों (पहाड़ों पर हरी घास के मैदान) में बैठे जवान दिखेंगे।
ये नजारा 14,800 फीट ऊपर गणेश टॉप, पिस्सू टॉप पर भी दिखा। पिछली बार इतनी सुरक्षा नहीं थी।
इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है।
तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।
वक्त कम हो, तो बाबा अमरनाथ दर्शन के लिए बालटाल रूट से जा सकते हैं। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है, इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं।