कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इस कहावत को राजस्थान के जयपुर निवासी 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने हकीकत में बदल दिया है।
उन्होंने उस उम्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट की कठिन परीक्षा पास कर ली है, जब ज्यादातर लोग जीवन से रिटायरमेंट की राह पर होते हैं।
ताराचंद अग्रवाल ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से सेवानिवृत्त होने के बाद खुद के लिए एक नया लक्ष्य तय किया—CA बनने का। और इस कठिन परीक्षा को पार कर उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि मेहनत, लगन और अनुशासन हो तो कोई भी मंज़िल असंभव नहीं।
भारत में CA (चार्टर्ड अकाउंटेंसी) को सबसे कठिन व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में गिना जाता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा संचालित इस कोर्स में पास होना न केवल कठिन परिश्रम बल्कि अदम्य आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास की मांग करता है।
ताराचंद ने यह मुकाम ऐसे समय में हासिल किया है, जब युवा वर्ग भी इस परीक्षा को कठिन मानकर कई बार प्रयास छोड़ देता है।
उन्होंने बताया कि रिटायरमेंट के बाद खुद को मानसिक रूप से सक्रिय रखने के लिए उन्होंने यह चुनौती ली। शुरुआत में सबने इसे मजाक में लिया, लेकिन धीरे-धीरे परिवार और समाज ने उनका साथ देना शुरू किया।
“उम्र सिर्फ एक संख्या है। अगर लक्ष्य स्पष्ट हो, नजरिया सकारात्मक हो और दिनचर्या अनुशासित हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।”
– ताराचंद अग्रवाल
CA परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए उम्मीदवारों को वर्षों तक गहन अध्ययन और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। विषयों की जटिलता और लगातार बदलते वित्तीय कानून इसे और चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। इसके बावजूद, ताराचंद ने पूरे समर्पण से खुद को तैयार किया और सफलता अर्जित की।
CA कोर्स में सफलता का प्रतिशत बेहद कम होता है, लेकिन ताराचंद की कहानी यह दिखाती है कि मजबूत इच्छाशक्ति उम्र के हर बंधन को तोड़ सकती है।
रविवार को परीक्षा के नतीजे जारी हुए, और जैसे ही ताराचंद को अपनी सफलता का पता चला, उनके चेहरे पर मुस्कान के साथ एक नई ऊर्जा भी देखने को मिली। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए प्रेरणा बन गई।
ताराचंद की यह उपलब्धि केवल अकादमिक नहीं है, यह एक सामाजिक संदेश भी है—कि सीखना कभी बंद नहीं करना चाहिए। चाहे उम्र कोई भी हो, सपनों को साकार करने का जज़्बा होना चाहिए।
उनकी यह यात्रा जीवनभर सीखते रहने, आत्म-प्रेरणा और समर्पण की मिसाल बन चुकी है।