राजस्थान में मानसून एक बार फिर पूरी ताकत से सक्रिय हो गया है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में बारिश का दूसरा दौर तेजी से जारी है, जिससे खेतों में हरियाली लौटी है और कई जलाशय पानी से लबालब भर चुके हैं। विशेषकर पूर्वी राजस्थान के जिलों में झमाझम बारिश ने राहत के साथ-साथ सतर्कता का भी माहौल बना दिया है।
गुरुवार को राज्य के पश्चिमी हिस्सों में जालौर, बाड़मेर, जोधपुर और फलौदी जैसे क्षेत्रों में 2 से 5 इंच तक बारिश दर्ज की गई। जालौर में सबसे अधिक 136.5 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है। बादलों की लगातार आवाजाही और तेज बरसात के कारण सड़कें जलमग्न हो गईं और ग्रामीण क्षेत्रों में निचले इलाकों में पानी भर गया।
टोंक जिले के बीसलपुर बांध में भारी बारिश का सीधा असर देखने को मिला है। बीते 24 घंटों में बांध का जलस्तर 71 सेंटीमीटर तक बढ़ गया, जो एक ही दिन में बड़ा इजाफा माना जा रहा है। इससे पानी की आपूर्ति से जुड़ी उम्मीदें भी बढ़ गई हैं।
जयपुर मौसम केंद्र के अनुसार, बीते 24 घंटों में पूर्वी राजस्थान के अधिकांश जिलों में बारिश का सिलसिला जारी रहा। विभाग ने आगामी दिनों में जयपुर, टोंक और दौसा जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है, जिसके चलते इन जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
वहीं, सीकर जिले में 22 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जो दिनभर की हल्की-तेज बारिश का नतीजा है।
तापमान की बात करें तो उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। सबसे अधिक अधिकतम तापमान गंगानगर में 40.3 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि सबसे ठंडी जगह माउंट आबू रही, जहां न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला गया।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले चार से पांच दिन पूर्वी राजस्थान के कोटा, अजमेर, जयपुर, भरतपुर और उदयपुर संभाग के कई हिस्सों में भारी वर्षा जारी रह सकती है। इन इलाकों में कहीं-कहीं अतिभारी बारिश होने की संभावना है, जिससे निचले इलाकों में जलभराव और यातायात बाधित होने की आशंका जताई गई है।
दूसरी ओर, पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर और बीकानेर संभाग में अगले तीन-चार दिनों तक मध्यम से तेज बारिश के आसार हैं। ऐसे में दोनों क्षेत्रों में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
राज्यभर में मानसून की सक्रियता से किसानों को बड़ी राहत मिली है। खेतों में बुवाई का कार्य तेज गति से चल रहा है। वहीं, जलाशयों के जलस्तर में वृद्धि से आगामी महीनों में जल संकट से राहत मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है।