बुलंदशहर। जननी सुरक्षा योजना में सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के सरकारी दावों की फिर एक बार पोल खुल गई है। सिकंदराबाद के राजकीय संयुक्त चिकित्सालय में इलाज में कथित लापरवाही के चलते एक प्रसूता की मौत हो गई। दो दिन बाद नवजात बेटे ने भी दम तोड़ दिया। पीड़ित परिवार ने इलाज में लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं।
दर्द में तड़पती रही प्रसूता
- रामलालगढ़ी निवासी नेमपाल ने बताया कि उनकी 23 वर्षीय पुत्रवधू शोभा को 26 जून की रात प्रसव पीड़ा हुई। रात 9 बजे सिकंदराबाद के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार का आरोप है कि वहां कोई महिला डॉक्टर मौजूद नहीं थी। स्टाफ नर्स ने ही डिलीवरी कराई।
- प्रसव के दौरान शोभा की हालत बिगड़ती रही, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिला। प्रसव के बाद अधिक रक्तस्राव और बीपी कम होने पर गंभीर हालत में जिला महिला अस्पताल रेफर कर दिया। रास्ते में ही शोभा की मौत हो गई।
अस्पताल से धक्के देकर बाहर निकालने का आरोप
शोभा की ननद रेखा ने आरोप लगाया कि प्रसव के दौरान स्टाफ ने भाभी से अभद्रता की। उन्हें अंदर जाने से भी रोका गया। नवजात को खींचकर बाहर निकाला, जिससे उसकी गर्दन में खिंचाव आ गया। नवजात को नर्सरी में भर्ती कराया, लेकिन शुक्रवार को उसकी भी मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि उन्होंने लापरवाही पर सवाल किए, तो अस्पताल स्टाफ ने उन्हें धक्के देकर बाहर निकाल दिया।
जांच की बात कह रहे अधिकारी
जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. अजय पटेल ने कहा कि प्रसूता अस्पताल पहुंची थी, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। सीएमओ डॉ. सुनील कुमार दोहरे ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है। जांच कराई जाएगी।