रायपुर: प्रदेश में अचल संपत्ति और जमीन की सरकारी कीमतों यानी कलेक्टर गाइडलाइन दरों में एक अगस्त से बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। राज्य सरकार बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों में मौजूद अंतर को न्यूनतम करने की दिशा में सक्रिय हो गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि गाइडलाइन दर 30 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसके लिए 30 जून से सात जुलाई तक प्रदेशभर में प्रचलित बाजार दरों का भौतिक सर्वेक्षण किया जा रहा है। सर्वे पूरा होने के बाद एक अगस्त से नई दरें लागू की जा सकती हैं।
बनाई गई है विशेष टीम
साल 2025-26 के लिए अचल संपत्ति की गाइडलाइन दरों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसके तहत पांचों संभागों (रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर और सरगुजा) के लिए विशेष टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों में उप महानिरीक्षक पंजीयन मदन कोर्पे, उषा साहू तथा संबंधित जिला पंजीयक और वरिष्ठ उप पंजीयक शामिल हैं।
जमीनी हकीकत को परखेंगी टीमें
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि गाइडलाइन दरों को यथासंभव बाजार मूल्य के निकट लाने के लिए आंकड़ों का विश्लेषण दस्तावेजों और क्षेत्रीय निरीक्षण के आधार पर किया जाएगा। पटवारियों और तहसीलदारों के माध्यम से हर इलाके की रिहायशी कॉलोनियों, व्यावसायिक परिसरों और अन्य अचल संपत्तियों की जानकारी जुटाई गई है।
नए मापदंड से तय होंगी दरें
प्रस्तावित गाइडलाइन दरों के निर्धारण में स्पष्ट मापदंड अपनाए जा रहे हैं। रोड से लगी हुई संपत्तियों की दरें केवल रोड के आधार पर निर्धारित होंगी, रोड से अंदर की दरें तय नहीं की जाएंगी ताकि भ्रम की स्थिति न बने। वहीं 40 फीट से अधिक चौड़ाई वाली सड़कें ‘मुख्य मार्ग’ मानी जाएंगी। कम चौड़ाई की सड़कें, यदि वे दो इलाकों को जोड़ती हैं, तो उन्हें भी मुख्य मार्ग की श्रेणी में रखा जाएगा।
सात साल बाद बदलाव की तैयारी
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में साल 2017 के बाद से गाइडलाइन दरों में कोई संशोधन नहीं हुआ है, जबकि नियमानुसार यह प्रक्रिया हर साल की जानी चाहिए। इस बार राज्य सरकार ने गाइडलाइन पुनरीक्षण के लिए सभी जिलों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। बाजार मूल्य की वास्तविकता को पकड़ने के लिए बैंकिंग संस्थाओं से भी संबंधित क्षेत्रों की संपत्ति दरों की जानकारी ली जा रही है।