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गोंडा
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत अपात्रों को आवास दिलाने व अवैध वसूली के मामले में तत्कालीन प्रधान व सचिव समेत 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा किया गया है।
डीएम के आदेश पर बीडीओ पंडरी कृपाल ने इटियाथोक थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। जांच में 15 लाभार्थी अपात्र पाए गए थे। आवास निर्माण के लिए आवंटित 6.80 लाख रुपये की रिकवरी भी कराई जाएगी।
पंडरी कृपाल ब्लाक की ग्राम पंचायत दरियापुर हरदोपट्टी निवासी राम कुमार ने आठ जनवरी को आयुक्त देवीपाटन मंडल को पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायतकर्ता ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में अपात्रों को आवास देने व अवैध वसूली के आरोप लगाए थे।
पूर्व में हुई जांच में 14 लाभार्थियों के अपात्र होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। आयुक्त ने प्रकरण की जांच कराकर कार्रवाई के निर्देश डीएम को दिए थे। डीएम नेहा शर्मा के आदेश पर प्रकरण की जांच जिला विकास अधिकारी से कराई गई।
जांच में पाया गया कि लाभार्थी विद्याधर ने आवास निर्माण के लिए एक लाख 20 हजार रुपये प्राप्त कर लिए लेकिन, निर्माण नहीं कराया। जांच के दौरान लाभार्थी ने संबंधित अधिकारी को अपने भाई का आवास अपना बताकर दिखा दिया।
जांच के समय लाभार्थियों ने ने आवास निर्माण के लिए आवंटित 40 हजार रुपये में से 20 हजार रुपये प्रधान के लेने की बात स्वीकार कर की थी। जांच अधिकारी ने गड़बड़ी के लिए तत्कालीन सचिव, प्रधान व प्रधानपति को जिम्मेदार ठहराया है।
अनियमित धनराशि की वसूली कराने की भी संस्तुति की गई है। डीएम ने तत्कालीन सचिव, प्रधान व अन्य व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर कराने, विभागीय कार्रवाई व सरकारी धन की वसूली के आदेश दिए थे।
बीडीओ पंड़रीकृपाल ने इटियाथोक थाने में तत्कालीन प्रधान उषा देवी, तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी अजीत गुप्ता, लाभार्थी श्यामपता, लक्ष्मी देवी, अनीता, ममता देवी, सुरेश कुमार, शानपती, गुलशन बानो, सरोजनी देवी, जगदम्बा प्रसाद, रमेश कुमार, सुमन, पवन कुमार, रामसरन, राजकुमारी, विद्याधर के खिलाफ मुकदमा कराया है।
चार वर्ष से मामला दबाए रहे अधिकारी
अपात्रों को आवास देने की शिकायत पहली बार वर्ष 2021 में की गई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन सीडीओ शशांक त्रिपाठी ने प्रकरण की जांच की थी। जांच के बाद सचिव के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही सरकारी धन की वसूली का आदेश दिया गया था लेकिन, यह आदेश सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया।