जांच के समय लाभार्थियों ने ने आवास निर्माण के लिए आवंटित 40 हजार रुपये में से 20 हजार रुपये प्रधान के लेने की बात स्वीकार कर की थी। जांच अधिकारी ने गड़बड़ी के लिए तत्कालीन सचिव, प्रधान व प्रधानपति को जिम्मेदार ठहराया है।
अनियमित धनराशि की वसूली कराने की भी संस्तुति की गई है। डीएम ने तत्कालीन सचिव, प्रधान व अन्य व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर कराने, विभागीय कार्रवाई व सरकारी धन की वसूली के आदेश दिए थे।
बीडीओ पंड़रीकृपाल ने इटियाथोक थाने में तत्कालीन प्रधान उषा देवी, तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी अजीत गुप्ता, लाभार्थी श्यामपता, लक्ष्मी देवी, अनीता, ममता देवी, सुरेश कुमार, शानपती, गुलशन बानो, सरोजनी देवी, जगदम्बा प्रसाद, रमेश कुमार, सुमन, पवन कुमार, रामसरन, राजकुमारी, विद्याधर के खिलाफ मुकदमा कराया है।
चार वर्ष से मामला दबाए रहे अधिकारी

अपात्रों को आवास देने की शिकायत पहली बार वर्ष 2021 में की गई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन सीडीओ शशांक त्रिपाठी ने प्रकरण की जांच की थी। जांच के बाद सचिव के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही सरकारी धन की वसूली का आदेश दिया गया था लेकिन, यह आदेश सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया।