दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
दरअसल, पहाड़िया को उनकी शारीरिक अक्षमता के चलते एमबीबीएम में प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया था और दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एमबीबीएस में याचिकाकर्ता को प्रवेश से मना करना पूरी तरह अवैध, मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के अंतर्गत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। दिव्यांगों और मानक दिव्यांगों के मौलिक अधिकारों और गरिमा की रक्षा के लिए उनकी क्षमताओं का आकलन व्यक्तिगत, साक्ष्य-आधारित और बिना वैज्ञानिक आधार वाले रूढि़गत धारणाओं के बिना होना चाहिए।
ट्रांसजेंडर के क्षैतिज आरक्षण की याचिका पर होगी सुनवाई
आगामी 15 जून को होने वाली नीट-पीजी 2025 परीक्षा में ट्रांसजेडरों के क्षैतिज आरक्षण की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के साथ अन्य से प्रतिक्रिया मांगी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विस्वनाथन ने तीन चिकित्सक ट्रांसजेंडरों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए स्वीकृति दे दी है। इन्होंने इस परीक्षा के लिए 16 और 17 अप्रैल को जारी नोटिस और इंफार्मेशन बुलेटिन को चुनौती दी है।