रेलवे की योजना है कि अगस्त से साइट पर कैंप लगाने का काम शुरू करना है। मदरौनी गोविंदपुर और मदरौनी पछियारी टोला में जमीन चिह्नित नहीं हो सकी है। इधर, कुल 26.2 किलोमीटर की इस नई रेल लाइन का एक छोर कहलगांव के विक्रमशिला तो दूसरा छोर नवगछिया के कटेरिया स्टेशन से जुड़ेगा। इस पुल के बन जाने के बाद उत्तरी और दक्षिणी बिहार के बीच रेल यातायात और मजबूत हो जाएगी।
धार्मिक दृष्टिकोण से भी दो प्रमुख धार्मिक स्थल तक पहुंचने में लोगों को काफी सहूलियत होगी। कोसी-पूर्णिया प्रमंडल के लोग भी आसानी से बाबा बैद्यनाथधाम और कहलगांव गंगा तट पर बाबा बटेश्वर स्थान पहुंच सकेंगे। विक्रमशिला-कटरिया रेल प्रोजेक्ट से बिहार-झारखंड आना-जाना आसान होगा। बिहार के सीमांचल के जिले पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज का भागलपुर व संताल परगना से रेल कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी।
इस प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाने से गंगा नदी के उस पार नवगछिया रेल लाइन से देवघर व गोड्डा जुड़ जाएगा। देवघर से अगरतल्ला व डिब्रुगढ़ जाने वाली ट्रेनों को मुंगेर गंगा पुल होकर घुमकर नहीं जानी पड़ेगी। सीधे विक्रमशिला से कटरिया होते हुए नवगछिया पहुंच जाएगी। इससे तीन घंटे की बचत होगी।
यह पुल तैयार होने से पीरपैंती-नवगछिया, भागलपुर-साहेबगंज, पटना-हावड़ा रेल लाईन देवघर-दुमका व गोड्डा को जोड़ते हुए पांच बाइपास चालू हो जाएगा। पीरपैंती को गोड्डा से जोड़ने के लिए रेल प्रोजेक्ट का काम चालू हो गया है। जबकि देवघर से गोड्डा रेल सेवा चालू है।