श्योपुर |
देश की सामरिक सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन अब श्योपुर को एक प्रमुख तकनीकी परीक्षण केंद्र के रूप में विकसित करने जा रहा है। इस सीमावर्ती जिले में डीआरडीओ ने हाल ही में स्वदेशी तकनीक से विकसित स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप का सफल परीक्षण किया है, जिससे निकट भविष्य में यहां ऐसे और परीक्षण एवं अनुसंधान के साथ ही पूरी यूनिट खुलने की उम्मीद है।
जाहिर है कि इसके बाद जिले में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। दरअसल जिले की बड़ौदा तहसील के जाखदा जागीर क्षेत्र में डीआरडीओ द्वारा 1200 हेक्टेयर में एक स्थायी रक्षा साइट का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत इसके कुछ हिस्से में निर्माण आदि हो चुका है और कुछ में अभी चल रहा है।
इस स्थल पर फिलहाल भवन, तकनीकी संरचनाएं और परीक्षण से संबंधित अन्य सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। माना जा रहा है कि यह साइट निकट भविष्य में स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप (समताप मंडलीय गुब्बारा) की एक प्रमुख परीक्षण साइट बन सकती है।
क्योंकि यह पहला परीक्षण भले आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ने डिजाइन और विकसित किया है, पर इस पर निकट भविष्य में यहां भी काम होगा। जिसमें इन्हें और ऊंचाई पर उढ़ाना आदि शामिल है।
17 किमी की ऊंचाई पर 62 मिनट तक आसमान में रुका रहा यह गुब्बारा
स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप: एक प्रकार का हाई-एल्टीट्यूड गुब्बारा है
स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप एक प्रकार का हाई-एल्टीट्यूड गुब्बारा है, जिसे निगरानी, संचार, आपदा प्रबंधन और रक्षा उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसकी खासियत है कि यह लंबे समय तक एक निश्चित ऊंचाई पर स्थिर रहकर क्षेत्र विशेष पर निगरानी रख सकता है। यह उपग्रहों की तुलना में अधिक लचीला और कम खर्चीला विकल्प है।
अमेरिका, रूस, चाइना के बाद भारत चौथा देश
स्वदेशी तकनीक पर स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप तैयार करने वाले देशों की सूची में अब भारत भी शामिल हो चुका है। भारत से पहले इस तकनीक को स्वदेशी तौर पर अमेरिका, रूस, चाइना विकसित कर चुके हैं।
डीआरडीओ ने श्योपुर की जाखदा साइट पर एक सफल परीक्षण किया है। यह सफल परीक्षण गौरव की बात है। परीक्षण के संबंध में डीआरडीओ ने पूर्व में सूचना दी थी। – अर्पित वर्मा, कलेक्टर श्योपुर