सेक्टर तीन स्थित हैरिटेज अपार्टमेंट निवासी नमिता चौधरी का कहना है कि उनकी सोसाइटी में अग्निशमन के नाम पर फायर एक्सटिंग्विशर हैं। इन्हें चलाने का प्रशिक्षण दिए करीब एक वर्ष हो चुके हैं। जबकि इसका प्रशिक्षण हर तीन महीने के अंतराल पर लोगों को दिया जाना चाहिए। सोसाइटी में कभी भी माक ड्रिल नहीं किया गया। कभी जिला आपदा प्रबंधन का कोई जागरुकता अभियान नहीं आयोजित हुआ। यह लापरवाही ही तो है।

प्रबंधन पर लोग उठा रहे सवाल

घटना के अगले दिन यानि बुधवार को शबद अपार्टमेंट के अंदर व बाहर कोई विशेष हलचल नहीं दिखी। सोसाइटी परिसर के अंदर फर्श पर घटना के बाद बिखरा पड़ा मलबा साफ किया जा रहा था। सोसाइटी के लोग खुलकर तो नहीं बोल रहे थे, लेकिन दबी जुबान में वे प्रबंधन को इस मामले में कठघरे में खड़े कर रहे थे। लोगों का कहना था कि सोसाइटी के मेंटिनेंस के लिए सभी से पैसे लिए जाते हैं, तो मेंटेनेंस के काम में अग्निशमन के इंतजाम शामिल नहीं हैं।

तीन शव का हुआ पोस्टमार्टम

बुधवार को तीनों शव का पोस्टमार्टम डीडीयू अस्पताल की मोर्चरी में हुआ। इसके बाद स्वजन शव लेकर एटा स्थित गांव के लिए रवाना हुए, जहां इनका अंतिम संस्कार होगा। पीड़ित पक्ष का कहना है कि इस घटना की पूरी जांच होनी चाहिए। जिसकी भी लापरवाही है, उसका पता लगाया जाना चाहिए।

पुलिस कर रही रिपोर्ट का इंतजार

उधर पुलिस का कहना है कि फिलहाल इस मामले में फोरेंसिक व फायर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर मामले में कहां लापरवाही हुई और इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है, इसका पता चलेगा। इसके बाद नामजद आरोपित होगा। फिलहाल लापरवाही की धारा में ही जांच होगी।