सह मीडिया प्रभारी ने इस पर सहमति जताई। हालांकि, जब वह होली से पहले 50 लाख रुपये लेकर विधायक के पास पहुंचे, तो विधायक ने बताया कि जमीन बिक चुकी है। रुपये वापस मांगने पर विधायक ने कुछ दिनों में दोगुनी राशि लौटाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में कोई भुगतान नहीं किया।

धमकी और गाली-गलौज का आरोप

मामला तब और गंभीर हो गया जब सह मीडिया प्रभारी ने प्रीत विहार स्थित अपने कार्यालय से शुक्रवार को विधायक से फोन किया और रुपये वापस मांगे। इस पर विधायक ने न केवल रुपये लौटाने से इंकार किया, बल्कि गाली-गलौज और धमकी भी दी। दोपहर करीब तीन बजे, जब सहमीडिया प्रभारी अपने दो साथियों के साथ कार से तहसील चौराहे से गुजर रहे थे। तब विधायक ने उनकी कार रुकवाई।

आरोप है कि विधायक ने कार से उतरते ही उनके साथ गाली-गलौज की। विरोध पर फर्जी मुकदमे लिखवाकर जेल भिजवानने की धमकी दी। इतना ही नहीं शाम तक सह मीडिया प्रभारी की हत्या कराने तक की बात कही।
भयवश सह मीडिया प्रभारी ने कोतवाली में तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मुनीष प्रताप सिंह ने बताया कि तहरीर प्राप्त हो चुकी है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

विधायक का पक्ष और सवालिया निशान

दिलचस्प बात यह है कि विधायक विजय पाल आढ़ती ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि उन्हें जमीन के सौदे के लिए किसी ने कोई रुपये नहीं दिए। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के सामने उठाएंगे।

हालांकि, विधायक द्वारा कोतवाली में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न कराना कई सवाल खड़े कर रहा है। विधायक का कहना है कि उनके साथ गाली-गलौज कर अभद्रता की गई है। लेकिन इस दावे के बावजूद विधायक ने कोई जवाबी तहरीर नहीं दी। जिससे मामला और रहस्यमय हो गया है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

यह विवाद न केवल स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि भाजपा के आंतरिक समीकरणों पर भी सवाल उठा रहा है। एक ओर जहां सह मीडिया प्रभारी ने विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

वहीं विधायक का शांत रहना और शिकायत न करना उनके पक्ष को कमजोर दिखा रहा है। स्थानीय लोगों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला पार्टी की छवि को प्रभावित कर सकता है। खासकर तब जब दोनों पक्ष भाजपा से जुड़े हैं।