बालाघाट: कटंगी विकासखंड के ग्राम भजियापार की सुमा उइके। 2019 से पहले एक सामान्य महिला की तरह घर-गृहस्थी संभालती थी। पति दीप सिंह उइके के साथ खेती-किसानी में हाथ बंटाती थी। 2019 में आदिवासी आजीविका सहायता समूह से जुड़ीं सुमा ने कड़े संघर्ष व लगन से ऐसा मुकाम हासिल किया, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करता है।
कई महिलाओं को प्रेरित कर चुकीं सुमा समूह में ‘सुमा दीदी’ के नाम से पहचानी जाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को (29 जून) रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 123वें संस्करण में सुमा के संघर्ष और सफलता की कहानी साझा की है। पीएम ने उनके साहस, समर्पण और सामाजिक बदलाव के प्रति उनके योगदान को राष्ट्रीय मंच पर रखा।
मशरूम की खेती को लॉकडाउन ने किया प्रभावित
सुमा ने ‘नईदुनिया’ से चर्चा में बताया कि यहां तक का सफर आसान नहीं था। समूह से जुड़कर 2021 में पहली बार घर पर ही आयस्टन मशरूम की खेती की। एक साल तक सबकुछ ठीक चला, लेकिन लॉकडाउन के कारण मशरूम की बिक्री कम हो गई। 2022 में बैंक से छह लाख रुपये का मुद्रा ऋण लेकर कटंगी ब्लॉक कार्यालय में कैंटीन शुरू की।
परिवार के तानों ने लक्ष्य से हटने नहीं दिया
उन्होंने बताया कि वह एक साल तक वह भजियापार से ब्लॉक ऑफिस तक 12 किमी साइकिल से सफर करती रहीं। पड़ोसियों, रिश्तेदारों ने ‘तुमसे ये नहीं हो पाएगा, ‘खेती-किसानी पर ध्यान दो’, ‘परिवार संभालो’ जैसे ताने मारे, लेकिन उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया था। कड़ी मेहनत से सफलता मिलती गई।
सुमा आज कैंटीन संचालन के साथ मशरूम की खेती करती हैं। कटंगी में आजीविका थर्मल थैरेपी सेंटर का संचालन कर रही है। वह प्रति माह 30 से 35 हजार रुपये लाभ अर्जित कर रही हैं। जो महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं।
महिलाओं की मदद के लिए बनाया स्व सहायता समूह
सुमा कक्षा 12वीं तक ही पढ़ी हैं। परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। उनका जीवन परंपरागत रीति-रिवाज और सामान्य परिवेश में बीता, लेकिन 2019 में उनके जीवन में बदलाव की शुरुआत हुई। आजीविका मिशन केकर्मचारियों ने गांव में स्व सहायता समूह के बारे में बताया। यहीं से सुमा ने कुछ अलग करने का मन बना लिया। सुमा ने आसपास के परिवारों की महिलाओं को जोड़ा और आदिवासी आजीविका विकास स्व सहायता समूह बनाया, जिसमें वह अध्यक्ष भी बनीं।
अब पति भी काम में करते हैं सहयोग
सुमा ने मिशन के तहत आर्गेनिक मशरूम उत्पादन, थर्मल थैरेपी और पशुपालन का प्रशिक्षण लिया। थर्मल थैरेपी और कैंटीन में बेरोजगार युवतियों को काम देकर सुमा उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं। खेती-किसानी करने वाले दीप सिंह भी अब पत्नी सुमा के कामों में हाथ बंटाते हैं। सुमा का छोटा पुत्र कक्षा 11वीं तथा बड़ा पुत्र कृषि महाविद्यालय में अध्यनरत है।