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गोरखपुर
शोध को बढ़ावा देने और इसे लेकर शोधार्थियों के उत्साह को बनाए रखने के लिए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अपने स्रोतों से शोधार्थियों को दी जाने वाली फेलोशिप को बढ़ाने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिया है। निर्णय के मुताबिक शोधार्थियों को अब प्रतिमाह 18 हजार रुपये फेलोशिप मिलेगी। अब तक यह 15 हजार रुपये मिलती है।
इसका लाभविश्वविद्यालय में शोध कर रहे करीब 100 शोधार्थियों को मिलेगा। फेलोशिप बढ़ाने पर विचार करने को लेकर गठित समिति ने इसे लेकर अपना सुझाव दे दिया है। विश्वविद्यालय इसे क्रमवार अकादमिक परिषद व वित्त समिति की बैठक में रखने जा रहा है। प्रबंध बोर्ड की मंजूरी के बार निर्णय को विश्वविद्यालय में लागू कर दिया जाएगा।
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय देश के उन चुनिंदा शिक्षण संस्थानों में से एक है, जो अपने हर शोधार्थी को अपने स्रोतों से फेलोशिप देता है। बीते वर्ष से पहले तक शोधार्थियों को 12 हजार 500 रुपये फेलोशिप दी जाती थी। शोधार्थियों की मांग पर मार्च 2024 में इसे बढ़ाकर 15 हजार रुपये कर दिया गया। शोधार्थियों को जब यह भी नाकाफी लगा तो विश्वविद्यालय ने एक फिर उसे बढ़ाने का निर्णय ले लिया है।
टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम (टीईक्यूआईपी) के अन्तर्गत केंद्र सरकार की ओर से शोधार्थियों को 25 हजार फेलोशिप दी जाती थी। टीईक्यूआईपी फेज-3 की फेलाेशिप सितंबर 2021 में बंद हो गई लेकिन विश्वविद्यालय ने अपने स्रोतों से फेलोशिप को जारी रखा, हालांकि फेलोशिप घटाकर आधी कर दी गई थी।
अच्छे शोधार्थी मिलें और गुणवत्तापूर्ण शोध हो, इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन यह फेलोशिप देता है। विश्वविद्यालय के अनुसार इससे शोधार्थियों का उत्साह बढ़ा है। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नल में शोधपत्रों के प्रकाशन की संख्या बढ़ी है। अधिक संख्या में पेटेंट प्राप्त करने में भी सफलता मिली है।
हर छह माह में होती है पीएचडी प्रवेश परीक्षा
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में हर छह महीने पर पीएचडी में प्रवेश के लिए शोध पात्रता परीक्षा होती है। नई नियुक्तियां होने के बाद शोधार्थियों की संख्या भी दो से तीन गुना तक बढ़ने के आसार हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन को उम्मीद है कि फेलोशिप बढ़ने से पीएचडी में प्रवेश के लिए प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी, जिसका परिणाम स्वरूप शोध की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।