परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर प्रस्ताव दाखिल किया। कहा कि सभी बिजली कंपनियों ने वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) लेखा-जोखा आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है।
एआरआर स्वीकार किए जाने के बाद विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 64(3) के तहत 120 दिन में बिजली दर की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा। पावर कारपोरेशन ने आयोग की अनुमति लिए बगैर पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर करीब 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। इसमें से दक्षिणांचल व पूर्वांचल के उपभोक्ताओं का करीब 16 हजार करोड़ रुपये है।
पूछा, जब दोनों कंपनियों का निजीकरण हो जाएगा तब यह 16 हजार करोड़ रुपये कैसे मिलेगा। निजीकरण की प्रक्रिया को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि आयोग रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत तत्काल हस्तक्षेप करे।