वर्ष 2017-18 में इलेक्ट्रिकल उत्पादों का निर्यात 4056.38 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2023-24 तक बढ़कर 38756.58 करोड़ रुपये हो गया है। इसी प्रकार मीट का निर्यात 14737.85 करोड़ से बढ़कर 18505.29 करोड़ रुपये हो गया है।
कपड़ों व अपेरल उत्पादों का निर्यात 9114.30 करोड़ रुपये से बढ़कर 14053.62 करोड़ रुपये हो गया है। न्यूक्लीयर रियेक्टर व उससे संबंधित मशीनों का निर्यात भी 3725.80 करोड़ रुपये से बढ़कर 7297.03 करोड़ रुपये, फुटवियर व इससे संबंधित वस्तुओं का निर्यात 5616.86 करोड़ रुपये से बढ़कर 7148.27 करोड़ रुपये हो गया है। मोती व अन्य प्रकार के रत्नों का निर्यात 4890.80 करोड़ से बढ़कर 6727.13 करोड़ रुपये, लोहे व स्टील का निर्यात 3855.69 करोड़ रुपये से बढ़कर 5667.70 करोड़ रुपये हो गया है।
प्रदेश के कालीन के निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017-18 में 4048.12 करोड़ रुपये के कालीन का निर्यात किया जाता था, जो बढ़कर 5516.06 करोड़ रुपये हो गया है। व्हीकल व उसके पार्टस का निर्यात भी 3271.58 करोड़ रुपये से बढ़कर 4695.24 करोड़ रुपये हो गया है। फर्नीचर व उससे संबंधित उत्पादों का निर्यात भी कई गुणा बढ़ा है। वर्ष 2017-18 में इसका निर्यात 1417.37 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2023-24 में 4352.33 करोड़ रुपये हो गया है।
इस बारे में औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी का कहना है कि सरकार वर्ष 2030 तक निर्यात को पांच लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। नई निर्यात नीति में निर्यातकों को पूंजीगत सब्सिडी और कई प्रकार की छूट देने का प्रविधान किया जा रहा है। इसके लिए विभिन्न राज्यों की निर्यात नीतियों का गहन अध्ययन किया गया है।
गौरतलब है कि उदारीकरण के बाद भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने में 16-17 वर्ष लग गए। दो ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में सात वर्ष लगे। 2021-22 में तीन ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकी वाला देश बना। इसमें पांच वर्ष लगने चाहिए थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण दो वर्ष बर्बाद हो गए। अब भारत की अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर आ गई है।