• तीनों ठिकानों की शुरुआत अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेना के खिलाफ युद्ध करने वाले कट्टरपंथियों के जरिये पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने करवाई थी। इन्हें स्थानीय पुलिस व पाक सेना कुछ उसी तरह से मदद दे रही थी जैसे कई वर्षों तक एबटाबाद में ओसामा को पोषित किया गया था।
  • सरकारी सूत्रों ने रविवार को आपरेशन सिंदूर के तहत चयनित स्थलों के बारे में विस्तार से बताया। यह भी बताया गया कि हमले में जिस तरह से उक्त तीनों ठिकानों को तबाह किया गया है, उससे आतंकवाद को संरक्षित, पोषित करने वाला पूरा तंत्र दहशत में है।

असल में अफगानिस्तानी जिहाद का संस्थापक अबदुल्लाह आजम भी बहावलपुर स्थित जैश अड्डे के संस्थापकों में से एक रहा है। मुजफ्फराबाद स्थित मरकज सैयदना बिलाल भी जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख केंद्र है और इसको भी आपरेशन सिंदूर ने एक तरह से धवस्त कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक जैश के उक्त ठिकानों पर पहले ही हमला कर देना चाहिए था।

भारत ने जैश के दोनों ठिकानों पर हमला करने के लिए सबसे घातक हथियारों का इस्तेमाल किया और वह भी सोच समझ कर संदेश देने के लिए।