वहीं, खुले में बहने वाले नाले का शुरुआती हिस्सा 20 से 25 फीट चौड़ा है, लेकिन कूड़े के ढेर और अतिक्रमण के कारण इसकी चौड़ाई आगे जाकर कई जगहों पर महज आठ से 10 फीट रह गई है। तेज वर्षा में नाले का बहाव अवरुद्ध हो जाता है। इससे पानी वापस उन कालोनियों में जाने लगता है, जिनकी जल निकासी तैमूर नगर नाले में होती है। पानी सीवेज लाइन से भी बैक होकर आसपास के इलाकों में भर जाता है। मेन ड्रेनेज चोक होने के चलते पंप आपरेटर भी पानी निकासी की व्यवस्था नहीं करा पाते।
बता दें कि अतिक्रमण हटाकर आसपास के इलाकों को जलभराव से काफी हद तक राहत मिलेगी। नाले के अंदर की बाधा दूर कर प्रवाह कराया जाए ठीक: यमुना सफाई को लेकर जनजागरूकता की दिशा में करीब एक दशक से काम कर रहे स्वयंसेवक भूपेश गुप्ता भी मुहाने पर नाले की कम चौड़ाई को खतरा मानते हैं।
उन्होंने कहा कि जितनी चौड़ाई शुरू में है, उतनी ही मुहाने पर किया जाना जरूरी है। ऐसा न होने पर मानसून में नाला चोक हो जाएगा और आसपास के इलाकों में जलभराव का कारण बनेगा। किनारे का अतिक्रमण तो हटाया गया, पर प्रवाह में जो बाधाएं नाले में हैं, उन्हें भी दूर करने की जरूरत है।

  • तैमूर नगर एक्सटेंशन में नाले के मुहाने की चौड़ाई बढ़ाई जाए।
  • अंतिम छोर पर 80 मीटर के अंतराल पर बने दोनों पुलियों को नए सिरे से बनाया जाए।
  • हनुमान मंदिर के पास जल बोर्ड की मोटी पाइपलाइन को नाले से ऊपर किया जाए, ताकि प्रवाह में अवरोध न हो।
  • अतिक्रमण का मलबा हटने के बाद जितना चौड़ा नाला शुरू में है, उतना ही अंतिम छोर तक किया जाए।
  • नाले में कचरा फेंके जाने से आसपास के लोगों को रोका जाए, उन्हें जागरूक किया जाए।