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अयोध्या
रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर के साथ आस्था का प्रतिमान गढ़ा जाएगा। यद्यपि गत वर्ष 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ रामजन्मभूमि आस्था के नित्य-नूतन शिखर से गुजरती रही है, किंतु बुधवार की बात निराली हगी। इस दिन रामजन्मभूमि पथ पर श्रीराम के अति प्रिय-अति प्रधान भक्त बजरंगबली का प्रतिनिधित्व होगा।
प्रतिनिधि के रूप में न केवल प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी के सर्वोच्च महंत गद्दीनशीन प्रेमदास होंगे, बल्कि उनके चार प्रमुख सहायक महंत और अन्यान्य संतों के साथ भक्ति-वैराग्य, करुणा, शौर्य-पराक्रम का परिचायक हनुमानजी का निशान भी होगा।
हनुमानगढ़ी का अतीत तो श्रीराम की तरह त्रेतायुगीन है और लंका विजय के बाद साथ लौटे बजरंगबली को श्रीराम ने इसी स्थान पर आश्रय प्रदान किया था, किंतु गद्दीनशीन की भी परंपरा का प्रवर्तन हुए कोई तीन सौ वर्ष बीत चुके हैं और एक अति आकस्मिक अपवाद को छोड़ कर यह पहला मौका होगा, जब गद्दीनशीन जन्मभूमि पर विराजे चिर आराध्य श्रीराम के दर्शन के लिए पहली बार हनुमानगढ़ी की 52 बीघा परिधि लांघेंगे।
हनुमानजी की उपासना-सेवा में सतत संलग्न रहने वाले गद्दीनशीन के अनुसार उन्हें हनुमानजी ने ही प्रेरित किया, किंतु व्यवस्था एवं नियमावली के हिसाब से गद्दीनशीन का 52 बीघा की परिधि से बाहर निकलना आसान नहीं था।
रामलला के दर्शन की गद्दीनशीन की इच्छा से तो एकाएक सभी हतप्रभ हुए, किंतु इसके पीछे का भाव और मर्म समझते ही हनुमानगढ़ी की पंचायत ने सर्वसम्मति से गद्दीनशीन की इच्छा पर मुहर लगाने के साथ आस्था की इस यात्रा को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी शुरू की।