भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. रघुराम राजन ने कहा है कि भारत को रूस से तेल खरीदने पर अब पुनर्विचार करने की ज़रूरत है। उनका मानना है कि मौजूदा व्यवस्था में यह देखना जरूरी है कि इससे किसे फायदा हो रहा है और किसे नुकसान।
राजन ने अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ को ‘बेहद चिंताजनक’ बताया। उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में व्यापार, निवेश और वित्त को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए भारत को अधिक सतर्क रहना होगा।
रूसी तेल पर पुनर्विचार की वकालत
राजन ने एक इंटरव्यू में कहा, “रिफाइनरी कंपनियां अतिरिक्त मुनाफा कमा रही हैं लेकिन निर्यातक इस शुल्क का खामियाजा भुगत रहे हैं। अगर लाभ बहुत बड़ा नहीं है तो हमें सोचना चाहिए कि यह खरीद जारी रखनी चाहिए या नहीं।” उनका कहना है कि अमेरिकी टैरिफ का सबसे बड़ा झटका छोटे निर्यातकों—जैसे झींगा उत्पादकों और वस्त्र निर्माताओं—को लगेगा। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी नुकसान होगा, क्योंकि उन्हें 50% अधिक कीमत पर सामान खरीदना पड़ेगा।
निर्यात बाजारों में विविधता की जरूरत
राजन ने चेतावनी दी कि यह मामला केवल न्याय का नहीं बल्कि भू-राजनीति का है। उन्होंने कहा, “भारत को आपूर्ति के स्रोत और निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी। किसी एक साझेदार पर अत्यधिक निर्भर रहना खतरनाक है। आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करना होगा।”
ट्रंप की शुल्क नीति पर तीखी टिप्पणी
राजन ने ट्रंप प्रशासन की नीति पर तीन बिंदु गिनाए—पहला, यह मानना कि व्यापार घाटा शोषण का संकेत है; दूसरा, शुल्क विदेशी उत्पादकों से आसान राजस्व लाता है; और तीसरा, इसे विदेश नीति के दंडात्मक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा, “यह मूल रूप से शक्ति का प्रदर्शन है, इसमें निष्पक्षता की कोई भूमिका नहीं है।”