विदेशी छात्रों और पत्रकारों के लिए अमेरिका में पढ़ाई या रिपोर्टिंग करने की योजना बना रहे लोगों के लिए अब चीजें पहले जैसी सहज नहीं रहने वाली हैं। अमेरिका ने अपनी वीजा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है, जो न केवल वीजा की अवधि को सीमित करेंगे बल्कि निगरानी व्यवस्था को भी कड़ा बनाएंगे।
अब तक विदेशी छात्र, पत्रकार या सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में शामिल प्रतिभागी अपनी गतिविधियों की अवधि तक अमेरिका में रह सकते थे। लेकिन नई नीति के तहत अब इन वर्गों के लिए अधिकतम रहने की अवधि निर्धारित कर दी गई है।
क्या हैं नए बदलाव?
विदेशी छात्रों (F-1 वीजा):
अब अधिकतम 4 साल तक ही अमेरिका में रह सकेंगे, चाहे उनकी पढ़ाई पूरी हुई हो या नहीं।
पढ़ाई पूरी होने के बाद मिलने वाला 60 दिन का ग्रेस पीरियड घटाकर 30 दिन कर दिया गया है।
अब स्नातक छात्रों को कोर्स के बीच में प्रोग्राम बदलने की अनुमति नहीं होगी।
विनिमय कार्यक्रम के प्रतिभागी (J वीजा):
इन्हें भी अधिकतम चार साल की ही अनुमति दी जाएगी।
विदेशी पत्रकार (I वीजा):
अब केवल 240 दिन तक ही अमेरिका में रह सकेंगे।
इन बदलावों के पीछे क्या कारण है?
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) का कहना है कि यह कदम वीजा के दुरुपयोग और अवैध प्रवास पर लगाम लगाने के मकसद से उठाया गया है। विभाग का मानना है कि पहले की “Duration of Status” प्रणाली में निगरानी की सीमाएं थीं, जिससे कई बार लोग तय समय से अधिक रुकते थे या नियमों का उल्लंघन करते थे। अब, यदि कोई व्यक्ति निर्धारित अवधि के बाद भी अमेरिका में रुकना चाहता है, तो उसे विस्तार के लिए DHS से विशेष अनुमति लेनी होगी।
क्या असर पड़ेगा छात्रों और पत्रकारों पर?
शिक्षा विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े विश्लेषकों की राय में, ये नए नियम विदेशी छात्रों को अमेरिका आने के निर्णय पर दो बार सोचने को मजबूर कर सकते हैं। रिसर्च आधारित कोर्स या पीएचडी जैसी लंबी अवधि की पढ़ाई करने वाले छात्रों को बीच में वीजा विस्तार की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा, जो समय और संसाधन दोनों की मांग करता है। वहीं, पत्रकारों के लिए सीमित समयावधि की शर्त उनकी रिपोर्टिंग की स्वतंत्रता पर असर डाल सकती है, खासकर जब वे लंबी रिपोर्टिंग परियोजनाओं पर काम कर रहे हों।
अमेरिका की नजर में “सख्ती – सुरक्षा”
DHS का कहना है कि इन सख्त नियमों के ज़रिए वीजा प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जाएगा। सरकार का दावा है कि इससे धोखाधड़ी और झूठे दस्तावेजों के जरिए अमेरिका में प्रवेश करने वालों पर रोक लगेगी और वीजा की “साख और संरचना” बरकरार रखी जा सकेगी।