देश के उत्तर-पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार सुबह-सुबह लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। हालांकि राहत की बात यह रही कि भूकंप की तीव्रता कम थी और किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार भूकंप का केंद्र पूर्वी कामेंग जिले में जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई में था। यह घटना लोगों के बीच एक बार फिर से प्राकृतिक आपदा को लेकर सतर्कता बढ़ा रही है।
कहां और कब आया भूकंप?
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के मुताबिक भूकंप शुक्रवार सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर आया। इसका केंद्र अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले में था। यह जिला पहाड़ी और जंगलों से घिरा हुआ क्षेत्र है, जहां भूगर्भीय गतिविधियां आम तौर पर होती रहती हैं। झटका हल्का था, लेकिन स्थानीय लोगों में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
कितनी थी भूकंप की तीव्रता?
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 मैग्निट्यूड दर्ज की गई है। यह एक मध्यम श्रेणी का झटका माना जाता है जो सतह पर हल्के कंपन का कारण बनता है। चूंकि इसका केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था, इसलिए इसका असर सीमित क्षेत्र में महसूस किया गया।
सौभाग्य से किसी प्रकार की क्षति की सूचना नहीं है।
लोगों में कैसी रही प्रतिक्रिया?
हालांकि भूकंप की तीव्रता ज्यादा नहीं थी, फिर भी सुबह-सुबह आए इन झटकों ने लोगों को थोड़ी देर के लिए डरा दिया। कुछ लोगों ने घरों से बाहर निकलना भी उचित समझा। सोशल मीडिया पर भी कुछ यूज़र्स ने अपने अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने कंपन को “हल्का लेकिन अचानक” बताया।
पहले भी आए हैं भूकंप
अरुणाचल प्रदेश से पहले देश के अन्य हिस्सों में भी हाल ही में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं:
1. असम के कार्बी आंगलोंग में भूकंप
- तारीख: 23 अगस्त 2025
- तीव्रता: 2.7 मैग्निट्यूड
- गहराई: 10 किलोमीटर
यह एक हल्का भूकंप था और इससे भी किसी नुकसान की खबर नहीं आई थी।
2. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में झटका
- तारीख: 21 अगस्त 2025
- तीव्रता: 3.5 मैग्निट्यूड
- समय: दोपहर 1:39 बजे
- गहराई: 5 किलोमीटर
उत्तर भारत के इस क्षेत्र में भी भूगर्भीय हलचलें अक्सर देखने को मिलती हैं।
भूकंप के कारण और सावधानियां
भारत के कई राज्य ऐसे भूकंपीय जोन में स्थित हैं जहां टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के कारण अक्सर भूगर्भीय कंपन महसूस किए जाते हैं। अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और असम जैसे राज्य इन संवेदनशील क्षेत्रों में प्रमुख रूप से शामिल हैं, जहां समय-समय पर भूकंप आना आम बात है। ऐसे में नागरिकों के लिए सतर्क रहना और कुछ जरूरी सावधानियों का पालन करना बेहद जरूरी हो जाता है। सबसे पहले, इमारतों की संरचनात्मक मजबूती सुनिश्चित करना चाहिए ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में जानमाल की क्षति को रोका जा सके। भूकंप के समय लोगों को तुरंत खुले स्थान की ओर जाना चाहिए, जिससे किसी भी गिरती हुई वस्तु से बचा जा सके। इसके साथ ही बिजली उपकरणों और गैस को तुरंत बंद कर देना चाहिए ताकि आग लगने जैसी घटनाओं से बचा जा सके। ऐसे समय में अफवाहों से बचना और केवल आधिकारिक स्रोतों से मिली जानकारी पर ही भरोसा करना भी अत्यंत आवश्यक है। ये सभी सावधानियां मिलकर भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक साबित हो सकती हैं।
क्या है राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS)?
NCS भारत सरकार का वह संगठन है जो देश भर में भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी करता है। यह संगठन समय-समय पर आने वाले भूकंप की जानकारी जनता तक पहुंचाता है और आपदा प्रबंधन से जुड़ी एजेंसियों को अलर्ट करता है।