उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग उ एक बार फिर वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बन गए हैं। अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) की एक नई रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है। इसमें बताया गया है कि उत्तर कोरिया ने चीन की सीमा से महज़ 27 किलोमीटर दूर “एसिनपुंग-दोंग” नाम का गुप्त परमाणु मिसाइल बेस तैयार किया है। यह कदम सीधे तौर पर रूस और चीन दोनों को असहज स्थिति में डाल रहा है, जो अब तक किम को अपना “रणनीतिक साझेदार” मानते रहे हैं। उत्तर कोरिया की यह नई रणनीति रूस और चीन के लिए उसी तरह है जैसे भस्मासुर जिसे उन्होंने खुद खड़ा किया और जो अब उन्हीं के लिए खतरा बन रहा है। अमेरिका और उसके सहयोगी पहले से किम के मिसाइल कार्यक्रम को लेकर चिंतित थे, लेकिन अब चीन और रूस भी यह महसूस करने लगे हैं कि किम जोंग उन पर भरोसा करना बेहद खतरनाक हो सकता है।
गुप्त मिसाइल बेस और उसकी ताकतः रिपोर्ट के मुताबिक, इस बेस में उत्तर कोरिया ने अपनी सबसे खतरनाक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) तैनात की हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन मिसाइलों की मदद से उत्तर कोरिया न केवल जापान और दक्षिण कोरिया बल्कि अमेरिका तक भी परमाणु हमले करने की क्षमता रखता है।
ह्वासोंग-15
ह्वासोंग-17 (तरल ईंधन वाली)
ह्वासोंग-18 (ठोस ईंधन वाली, ज्यादा भरोसेमंद और तेज़)
मिसाइल बेल्ट रणनीति
उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों को एक “मिसाइल बेल्ट” रणनीति के तहत संगठित कर रहा है। विश्लेषक जोसेफ बर्मुडेज़ जूनियर के मुताबिक इसे तीन स्तरों में बांटा गया है…
- टैक्टिकल बेल्ट- डीएमज़ेड (दक्षिण कोरिया सीमा) के पास, ताकि तुरंत हमला किया जा सके।
- ऑपरेशनल बेल्ट- 90-150 किमी उत्तर में, जो जापान और पूरे दक्षिण कोरिया को रेंज में लाती है।
- स्ट्रैटेजिक बेल्ट 150 किमी से ज्यादा उत्तर, जहां से अमेरिका तक मारक क्षमता वाली ICBM तैनात हैं।
- इन ठिकानों को पहाड़ों में छिपाया गया है और मोबाइल लॉन्चर से इन्हें तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है।
कितनी मिसाइलें हैं किम के पास?
- अनुमान: 17 से 21 मोबाइल लॉन्चर पहले से तैयार
- अमेरिकी खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि अभी 10 से कम ICBM हैं
- लेकिन मौजूदा रफ्तार जारी रही, तो 2035 तक 50 से ज्यादा ICBM तैनात हो सकते हैं
रूस-चीन के लिए खतरा क्यों ?
किम ने रूस को यूक्रेन युद्ध में सैनिक और हथियार भेजकर मदद दी। बदले में मॉस्को से तकनीक पाई। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रूस युद्ध में मजबूत हो गया, तो उसकी ज़रूरत खत्म होते ही उत्तर कोरिया बोझ बन सकता है।चीन हमेशा उत्तर कोरिया को एक “बफर स्टेट” की तरह इस्तेमाल करता है, ताकि अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई सैनिक उसकी सीमा तक न आ पाएं। लेकिन परमाणु मिसाइलों की आक्रामक तैनाती बीजिंग को बेहद परेशान कर रही है। सीमा से सिर्फ 27 किलोमीटर दूर मिले इस गुप्त न्यूक्लियर बेस ने चीन की नींद उड़ा दी है।