ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में संपन्न हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत को 2026 के लिए संगठन की अध्यक्षता सौंपी गई। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत ब्रिक्स को सिर्फ एक संगठन के तौर पर नहीं, बल्कि एक नए, व्यापक और मानवीय दृष्टिकोण वाले मंच के रूप में पेश करेगा।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “अगले वर्ष भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता में हम सभी विषयों पर मिलकर काम करेंगे और इस मंच को नए दृष्टिकोण से परिभाषित करेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत ब्रिक्स को एक नए नाम का अर्थ देगा —
Building Resilience and Innovation for Cooperation and Sustainability, यानी क्षमता निर्माण, सहयोग और सतत विकास के लिए नवाचार।
इस संकल्पना का मूल उद्देश्य है ब्रिक्स को आम जनता से जोड़ना और ‘मानवता प्रथम’ की सोच के साथ आगे ले जाना। मोदी ने याद दिलाया कि कैसे भारत ने G-20 की अध्यक्षता के दौरान ग्लोबल साउथ की आवाज़ को प्रमुखता दी थी और एक समावेशी एजेंडा तैयार किया था। अब वही भावना ब्रिक्स में भी देखने को मिलेगी।
प्रधानमंत्री के इस स्पष्ट दृष्टिकोण से यह साफ हो गया है कि भारत ब्रिक्स के आगामी शिखर सम्मेलन को एक ऐतिहासिक आयोजन के रूप में देख रहा है। यह सम्मेलन न केवल ब्रिक्स के 10 सदस्य देशों को जोड़ेगा, बल्कि कम से कम 12 साझेदार देशों और 10 से 15 विशेष आमंत्रित देशों को भी भारत बुलाने की योजना है।
विशेष रूप से यह संभावना जताई जा रही है कि अगर वैश्विक हालात अनुकूल रहे, तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग जैसे बड़े नेता भी इस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए भारत आ सकते हैं।
यह सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक नेतृत्व की आकांक्षा का भी प्रतीक है। भारत अब न केवल विकासशील देशों की आवाज़ बनना चाहता है, बल्कि वैश्विक मंचों पर दिशा तय करने वाला देश भी बनकर उभर रहा है।
हालाँकि, इस पूरे घटनाक्रम में एक और अहम बात यह है कि भारत के इस ब्रिक्स-केंद्रित दृष्टिकोण पर अमेरिका की प्रतिक्रिया क्या होगी। पिछली बार जब प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स की सराहना की थी, तो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे खास पसंद नहीं किया था। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मौजूदा अमेरिकी नेतृत्व इस पर क्या रुख अपनाता है।
तो दोस्तों, भारत अब सिर्फ सदस्य नहीं, बल्कि एक दिशा-निर्धारक शक्ति बनकर ब्रिक्स के भविष्य को आकार देने की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह ऐलान वैश्विक संतुलन को नए रूप में गढ़ सकता है।