“दिल थाम लीजिए! हमारी धरती एक बार फिर चौंकाने को तैयार है। आने वाले जुलाई और अगस्त के महीनों में पृथ्वी कुछ तेज़ रफ्तार से घूमेगी, जिससे दिन कुछ मिलीसेकंड तक छोटे हो सकते हैं। वैज्ञानिक इस घटना को बेहद दुर्लभ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से रोमांचक मान रहे हैं।”
“दिल थाम लीजिए! हमारी धरती एक बार फिर चौंकाने को तैयार है। आने वाले जुलाई और अगस्त के महीनों में पृथ्वी कुछ तेज़ रफ्तार से घूमेगी, जिससे दिन कुछ मिलीसेकंड तक छोटे हो सकते हैं। वैज्ञानिक इस घटना को बेहद दुर्लभ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से रोमांचक मान रहे हैं।”
विशेषज्ञों के अनुसार, पृथ्वी की इस रफ्तार में वृद्धि के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहला कारण है—धरती के गर्भ में होने वाली भूगर्भीय गतिविधियाँ। ये गतिविधियाँ पृथ्वी के घूर्णन पर सीधा असर डालती हैं।
दूसरा बड़ा कारण है—ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना। जब बर्फ पिघलती है, तो पृथ्वी की सतह पर द्रव्यमान का वितरण बदल जाता है, जिससे इसकी घूर्णन गति प्रभावित होती है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ते तापमान से ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ तेजी से पिघल रही है, और इससे पृथ्वी के संतुलन में बदलाव आ रहा है। ये बदलाव पृथ्वी के घूमने की गति को प्रभावित कर सकते हैं।
मौसम प्रणाली की घटनाएं जैसे ‘अल नीनो’ और ‘ला नीना’ भी पृथ्वी की गति में सूक्ष्म परिवर्तन ला सकती हैं। ये घटनाएं समुद्री और वायुमंडलीय परिस्थितियों को प्रभावित करती हैं, जिससे घूर्णन गति पर असर पड़ सकता है।
यह जानना भी रोचक है कि पृथ्वी की गति हमेशा स्थिर नहीं रही है। वैज्ञानिकों ने गणनाओं के आधार पर बताया है कि पृथ्वी अतीत में सूर्य की परिक्रमा करने के लिए 490 से लेकर 372 दिनों तक लेती थी। यानी समय के साथ इसकी गति में परिवर्तन होता रहा है।
आधुनिक समय की गणना में अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता होती है, और यही वजह है कि वैज्ञानिक लीप सेकंड जोड़ते रहे हैं। पर अब, स्थिति उलटी हो सकती है।
पहली बार, 2029 तक लीप सेकंड घटाना पड़ सकता है—जो अब तक की परंपरा से बिलकुल उलट होगा। यह बदलाव हमारी घड़ी और अंतरिक्ष में पृथ्वी की वास्तविक स्थिति को मेल कराने के लिए जरूरी हो सकता है।
एक वरिष्ठ भौतिक विज्ञानी ने कहा था कि पहले यह अनुमान लगाया गया था कि धरती की गति धीरे-धीरे धीमी होती रहेगी और हमें समय-समय पर लीप सेकंड जोड़ने की ज़रूरत पड़ेगी। लेकिन अब धरती के बढ़ते स्पिन ने वैज्ञानिकों को भी चौंका दिया है।
एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि जिन तारीखों को पृथ्वी सबसे तेज घूमेगी, उन दिनों चांद अपनी कक्षा में धरती के भूमध्य रेखा से अधिकतम दूरी पर होगा।
यह संयोग नहीं तो क्या है? वैज्ञानिक भी इस पर शोध कर रहे हैं कि क्या चांद की स्थिति का पृथ्वी की गति पर सीधा असर है
तो अगर आपको लगे कि दिन कुछ छोटे हो गए हैं, तो यह केवल एक एहसास नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक सच्चाई भी हो सकती है। यह बदलाव हमारे टाइम टेबल, घड़ियों और भविष्य की अंतरिक्ष यात्रा की योजनाओं को भी प्रभावित कर सकता है।