जबलपुर (Iran Israel Ceasefire): सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल हिमांशी सिंह के मुताबिक, ईरान-इजरायल युद्ध का भारत सहित विश्व पर विभिन्न स्तरों पर व्यापक असर परिलक्षित हो सकता था। इस कड़ी में तेल-गैस के दाम प्रभावित हो सकते थे। आयात-निर्यात पर खर्च में अभिवृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता था।
उन्होंने बताया कि यदि ईरान-इजरायल के युद्ध में अमेरिका की एंट्री से भयावहता बढ़ती है, तो यह संघर्ष युद्ध में शामिल देशों के लिए तो नुकसानदेह साबित होगा ही भारत सहित विश्व के दूसरे देशों को इससे व्यापार के मोर्चे पर काफी परेशानी हो सकती है।
विशेषकर हार्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की ईरान की धमकी को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इससे भारत में 60 प्रतिशत गैस और 50 प्रतिशत कच्चे तेल के आयात पर खतरा मंडरा सकता है। सिर्फ 21 मील चौड़ा यह रास्ता दुनिया के 20 प्रतिशत तेल के व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है।
महंगाई की समस्या के आसार
हिमांशी सिंह ने बताया कि तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीजल, एलपीजी की लागत बढ़ेगी। पश्चिम एशियाई देशों इराक, जार्डन, यमन आदि के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो सकता है। इन देशों की भारत के कुल निर्यात में 34 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसी तरह इजरायल की बात करें तो 2024-25 में इजरायल को भारत ने 2.1 अरब डालर का निर्यात किया।
वहीं आयात करीब 1.6 अरब डालर का रहा। पिछले वित्त वर्ष में ईरान से भारत का आयात 441. 8 अरब डालर था। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के मुताबिक, व्यापक क्षेत्रीय तनाव से इराक, जार्डन, लेबनान, सीरिया और यमन सहित पश्चिम एशियाई देशों के साथ भी भारत के व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
यहां भारतीय निर्यात कुल 8.6 अरब डालर और आयात 33.1 अरब डालर है। युद्ध ने पहले ही ईरान और इजरायल को भारत के निर्यात को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
सात वर्ष पूर्व गई थीं इजरायल
हिमांशी सिंह ने बताया कि उनके पिता आर्मी में थे। ब्रिगेडियर पति आर्मी बेस वर्कशाप में कार्यरत हैं। कई शहरों में रहीं हूं। सात वर्ष पूर्व इजरायल गई थी। इसलिए युद्ध के दौरान वहां के जिन शहरों का बार-बार जिक्र हो रहा है, उन्हें काफी करीब से देख चुकी हूं। वहां लोग चलते-फिरते नजर नहीं आते। वे दौड़ते-भागते रहते हैं।
युवाओं को फील्ड वर्क और 50 की आयु से अधिक वालों को डेस्क वर्क दिया जाता है। वहां मिल्ट्री प्रशिक्षण अनिवार्य है। जिसके बाद इजरायल के युवा अक्सर भारत के उत्तराखंड में आकर ब्रेक का समय इत्मिनान से बिताते हैं। मैंने 1998 में इंडियन आर्मी ज्वाइन करने के बाद 24 वर्ष तक सेवा दी।
इस दौरान विशद अनुभव अर्जित किए, जिसके आधार पर युद्ध और उसके प्रभावों के सिलसिले में अपनी राय रखने में समर्थ हूं। मेरा मानना है कि समय के साथ सभी देशों ने अपनी युद्ध कला को अपग्रेड कर लिया है। अब तकनीकी की अहमियत बढ़ गई है।
इजरायल ने स्ट्राइक के बाद सोचा था कि ईरान काउंटर स्ट्राइक करेगा और बात खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इजरायल ने ईरान के मिल्ट्री लीडरशिप, साइंटिस्ट आदि को खत्म किया। उसने सोचा इससे ईरान टूट जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
महज नौ घंटे में उसने सेकंड कमान के जरिए पूर्ववत होकर तैयारी सहित प्रहार प्रारंभ कर दिया। हालांकि क्लस्टर बम के प्रतिबंधित होने के बावजूद उसका इस्तेमाल कर दोनों देश एक तरह से युद्ध अपराध कर रहे हैं। ईरान का कहना है कि युद्ध इजरायल से प्रारंभ किया है, इसलिए जवाब हम अपने तरीके से देंगे।
रक्तबीज अपनी आइडियोलॉजी के साथ खड़े
हिमांशी सिंह ने एक सवाल के जवाब में साफ किया कि हिजबुल्ला, हमास, हूती आदि रक्तबीज की तरह हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे एक विशेष आइडियोलाजी के साथ खड़े हैं। ईरान के परमाणु शक्ति सम्पन्न होने के प्रयासों को लेकर मिडिल ईस्ट में विरोधाभास रहा है। एक वर्ग सहयोगी जबकि दूसरा विरोधी रहा है।
इजरायल और अमेरिका ईरान के सुप्रीम लीडर का खात्मा चाहते हैं। अपने तीन उत्तराधिकारी घोषित कर दिए, लेकिन उनमें अपने पुत्र का नाम दर्ज नहीं किया। ऐसा इसलिए क्योंकि वे नहीं चाहते कि उनकी वंशावली टारगेट पर आकर समाप्त हो जाए।