विमान हादसों में जीवित बचे भाग्यशाली चंद लोगों ने भयावह यादों को साझा करते हुए बेहद गंभीर भी हुए और भावुक भी। वर्ष 1993 की दुर्घटना में इंडियन एअरलाइंस की औरंगाबाद-मुंबई फ्लाइट 491 में सवार 112 यात्रियों में से 55 की मृत्यु हो गई थी।
इसमें बाल-बाल बचे छत्रपति संभाजीनगर के परभणी जिलान्तर्गत जिंतूर के पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष वसंत शिंदे ने उन भयावह यादों का जिक्र करते हुए बताया, “कांग्रेस विधायक रामप्रसाद बोर्डिकर और मैं एक कार्यक्रम के लिए मुंबई जा रहे थे। हमने आखिरी समय में टिकट लिया और कॉकपिट के बगल वाली सीट पर बैठ गए।”
ट्रक से टकरा गया था विमान का लैंडिंग गियर
उन्होंने कहा कि विमान उड़ान भरने के लिए आवश्यक गति नहीं पकड़ पाया और पीछे का लैंडिंग गियर हवाई अड्डे के बाहर एक ट्रक से टकरा गया और फिर 11 केवी बिजली लाइन से जा टकराया, जिसमें सौभाग्य से बिजली नहीं थी। उन्होंने बताया, “विमान में घना अंधेरा था। पायलट विमान को खुले मैदान में ले गया, जहां वह तीन टुकड़ों में टूट गया।” उन्होंने कहा कि जब विमान का दरवाजा खुला तो यह उम्मीद की किरण की तरह था।
उन्होंने कहा, “मैंने बिना कुछ सोचे-समझे विमान से छलांग लगा दी। मुझे मामूली चोटें आईं, लेकिन मैं होश में था।” केरल निवासी आशिक 2020 में कोझीकोड हवाई अड्डे पर हुई दुर्घटना में बाल-बाल बच गए थे।
फ्लाइट में नहीं लगी थी आग
उस दिन की यादों को साझा करते हुए उन्होंने बताया, ‘दुबई से आ रहा एअर इंडिया एक्सप्रेस के विमान में छह सदस्यीय चालक दल सहित 190 लोग सवार थे। सात अगस्त की शाम को भारी बारिश के बीच कोझीकोड हवाई अड्डे पर उतरते समय विमान रनवे से फिसल गया। बी737 विमान 35 फीट नीची खाई में गिर गया और टुकड़ों में टूट गया, जिससे दोनों पायलटों सहित 21 लोगों की मौत हो गई।’
उन्होंने बताया, ‘लैंडिंग के बाद विमान फिर से ऊपर उठा और कुछ समय तक मंडराता रहा। यह दूसरे प्रयास में फिर से उतरा। फिर अचानक एक झटके की आवाज सुनाई दी। कुछ बच्चे अपनी माताओं की गोद से गिरते हुए दिखाई दिए। अगले कुछ सेकंड में जो हुआ वह हमारी कल्पना से परे था। सौभाग्य से हमारी फ्लाइट में आग नहीं लगी। उस दिन एयरपोर्ट पर भारी बारिश हो रही थी।’
जब रनवे से आगे निकल गया था विमान…
22 मई, 2010 को मेंगलुरु हवाई अड्डे पर एअर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान आइएक्स 812 की दुखद दुर्घटना में 158 लोग मारे गए थे। 15 साल बाद इस हादसे में जीवित बचे के. प्रदीप आज भी उस दिन को गंभीरतापूर्वक याद करते हैं।
उन्होंने बताया, ‘विमान रनवे से आगे निकल गया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया।’ एक अन्य जीवित बचे व्यक्ति उस्मान फारूक ने बताया कि विमान के विंग के पास का वह हिस्सा, जहां मैं बैठा था, टूट गया और मुझे भागने का मौका मिल गया। इस कारण मैं बच गया। आज भी उसे याद कर सिहर उठता हूं।
शिंदे बोले, विमान तीन टुकड़ों में टूट गया, दरवाजा खुला तो यह उम्मीद की किरण की तरह था 4केरल के आशिक ने बताया कि अगले कुछ सेकंड में जो हुआ वह हमारी कल्पना से परे था।