प्रदर्शनकारियों ने स्कूल प्रबंधन पर बाल अधिकारों के उल्लंघन का केस दर्ज करने, आडिटिंग में गड़बड़ी करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लाइसेंस रद्द करने व शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग की। अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली सरकार और राष्ट्रपति से अपील की है कि शिक्षा व्यवस्था को माफिया संस्कृति से मुक्त किया जाए।
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट और शिक्षा निदेशालय ने स्कूल को 31 बच्चों का दोबारा नामांकन करने व अतिरिक्त शुल्क लौटाने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके डीपीएस द्वारका प्रबंधन ने आदेशों को अनदेखा करते हुए इन बच्चों के नाम काट दिए और बाद में उनको वापस स्कूल में शामिल करने के लिए स्कूल की ओर से एक ईमेल भेजा गया पर बच्चों का नाम नहीं शामिल किया।
राष्ट्रीय युवा चेतना मंच के राष्ट्रीय महासचिव व डीपीएस द्वारका के अभिभावक महेश मिश्रा ने कहा कि यह केवल फीस की लड़ाई नहीं है, यह हर बच्चे के सम्मान, शिक्षा और सुरक्षा के अधिकार की लड़ाई है।