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वाराणसी
जाते-जाते जेठ के अंतिम सप्ताह ने भून कर रख दिया। अब उमस देह का पानी उबाल देने को तैयार है। तापमान एक डिग्री सेल्सियस घटा तो जरूर लेकिन 43 पर रहते हुए भी गर्मी के प्रकोप में कोई कमी न कर सका। प्रचंड धूप ने आसमान से आग बरसाया तो धरती जल उठी।
गर्म पछुआ ने संपूर्ण दिशाओं को दहका रखा था तो बीच की नमी ने वाष्पित होकर तापमान के आभास को 46 डिग्री जैसा बना दिया। लोग प्रचंड धूप व गर्मी से त्राहि-त्राहि कर उठे तो पूरे दिन पसीने से तर-बतर रहे।
भारतीय मौसम विज्ञान का पूर्वानुमान है कि जेठ की पूर्णिमा बुधवार से आसमान में हल्के बादल बनेंगे और कहीं-कहीं तेज हवा व गरज-चमक के साथ एक-दो बार वर्षा हो सकती है लेकिन स्थानीय मौसम विज्ञानी इस संभावना से बहुत सहमत नहीं नजर आते।
बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि इतनी प्रचंड धूप और पर्याप्त आर्द्रता के चलते बादल बनेंगे तो जरूर लेकिन उष्णता इतनी है कि वे बनकर भी सूखे ही रहेंगे और कुछ नहीं कर पाएंगे। अभी दो-चार दिन मौसम ऐसे ही चलेगा। हां, एक-दो दिन में जब बादलों की सघनता बढ़ेगी तो बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न वायुदाब के क्षेत्र को अपनी ओर आकर्षित करेंगे। इसलिए शनिवार-रविवार से कुछ परितर्वन की उम्मीद की जा सकती है।
मंगलवार सुबह सूरज निकलने के पूर्व से ही भीषण उमस ने अपना साम्राज्य कायम कर रखा था। सूर्य के उदित होते ही प्रचंड धूप ने विस्तार लेना आरंभ किया तो दोपहर होते-होते अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा जो सामान्य से 3.2 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। न्यूनतम तापमान सामान्य से 2.4 डिग्री सेल्सियस अधिक 30.8 डिग्री सेल्सियस रहा। इस बीच 59 से 40 प्रतिशत आर्द्रता बनी हुई है जो उमस भरी गर्मी का कारक बन रही है।