नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय राजमार्गों की जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जों को रोकने के लिए अहम कदम उठाएं। इससे अनधिकृत अतिक्रमणों की जांच की जा सकती है और उनसे संबंधों आंकड़े इकट्ठा किए जा सकें। कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने और टीमें गठित करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजमार्गों की जमीन पर अवैध कब्जे के संबंध में केंद्र को कई निर्देश जारी किए। कोर्ट ने प्रशासन को राष्ट्रीय राजमार्गों (भूमि एवं यातायात) अधिनियम, 2002 और राजमार्ग प्रशासन नियम, 2004 के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों की निगरानी करने और राजमार्ग जमीन पर अनधिकृत कब्जे के बारे में डेटा इकट्ठा करने के लिए निरीक्षण दल गठित करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने भारतीय संघ को नियमित और समय पर राजमार्ग गश्त सुनिश्चित करने के लिए राज्य पुलिस या अन्य बलों से मिलकर निगरानी दल स्थापित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आदेश की तारीख से तीन महीने के अंदर दोनों निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट दी जाए।
पीठ ने अपने फैसले में कहा,’निगरानी दलों का कर्तव्य नियमित समय पर फैसला लेना होगा। इस अनुपालन की रिपोर्ट भी आज से तीन महीने के अंदर देनी होगी
याचिका पर विचार कर रहा था कोर्ट
कोर्ट एक जनहित याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें राजमार्ग भूमि पर अवैध अतिक्रमण के मुद्दे को उठाया गया था, जिसे हटाना राजमार्गों पर यातायात की सुरक्षा के लिए प्रासंगिक है।