युवाओं ने पहली बार सुना ब्लैक आउट

जानकार लोग वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध को याद कर रहे थे। तब भी ब्लैक आउट था। कनॉट प्लेस के निवासी व दुकानदार अमित गुप्ता के अनुसार, उन्होंने अपने दादा से ब्लैक आउट के बारे में सुना था। पहली बार इसे देख भी लिया।

कनॉट प्लेस में 500 से अधिक दुकानें व 250 से अधिक रेस्तरां है। उनके साथ कनॉट प्लेस के गलियारों से लेकर सड़कों तक पर रात्रि आठ बजे से 15 मिनट के लिए अंधेरा छा गया। जो जहां था वहां कुछ देर के लिए रूक गया। दुकानों और रेस्तरां में जो जहां रहा, वहीं ठहर गया। गलियारों में लोग स्मार्टफोन का सहारा लेते दिखे।
सड़कों पर केवल वाहनों की लाइटों जल रही थी। वैसे, बंद रेड लाइट पर लगे लाउट स्पीकर लोगों को ब्लैक आउट की जानकारी देते हुए उनसे सहयोग की अपील कर रहे थे। दिल्ली पुलिस व यातायात पुलिस मौके पर व्यवस्था को संभाल रही थी। बाजार संगठनों व आरडब्लूए ने पूरा सहयोग दिया। गोल मार्केट जैसी आवासीय कालोनियों में भी अंधेरा रहा। बाहरी दिल्ली के रोहिणी के एक माल में ऐच्छिक ब्लैक आउट रखा।

दिन में मॉक ड्रिल रात में ब्लैक आउट

खान मार्केट दिनभर व्यस्त रहा। दोपहर में मॉक ड्रिल में भाग लिया तो रात्रि आठ बजे अंधेरा छा गया। खान मार्केट दिल्ली का प्रतिष्ठित बाजार हैं, जहां बड़ी संख्या में विदेशी भी खरीदारी करने आते हैं। उनके बीच भी भारत-पाक के बीच तनाव के साथ मॉक ड्रिल तथा ब्लैक आउट की चर्चा होती रहीं।

वैसे, खान मार्केट में आम दिनों की तुलना में कम खरीदार व पर्यटक थे। खान मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बृज किशोर खोसला ने बताया कि सुबह जहां डीडीएमए अधिकारियों के साथ बैठक चली। फिर मॉक ड्रिल फिर ब्लैक आउट हुआ। नेमिष हेमंत, सात मई