इसमें स्टेट एंट्री रोड, सुपर बाजार, आरएमएल अस्पताल, मंडी हाउस के दो वाटर एटीएम, कनॉट प्लेस के एलआइसी दफ्तर, बाराखंभा के पास वाटर एटीम बंद पड़े मिले। कई जगह पर वाटर एटीएम पर अतिक्रमण तक हो गया है।
एनडीएमसी के वाटर एटीएम बंद होने से यहां लाखों की समस्या प्रतिदिन दूसरे इलाकों से लोग आते हैं जो कि बोतलबंद पानी खरीदने पर मजबूर होते हैं। जून जुलाई में तो और समस्या बढ़ जाती है। यह ऐसा नहीं कि वाटर एटीएम इसी वर्ष खराब है। पिछले कुछ वर्षों से ज्यादातर वाटर एटीएम ऐसे ही नजर आते है। सी द्वारा प्रमुख स्थानों, प्रमुख मार्गों पर करीब 100 वाटर एटीएम लगाए गए।

20-30 रुपये देकर पानी खरीद रहे लोग

कुछ वर्ष तो यह चले लेकिन दो साल से यह खराब पड़े हैं। राम मनोहर लोहिया अस्पताल जहां लोग सस्ते इलाज के लिए दूर-दूर से इलाज कराने आते हैं वहां अस्पताल के बाहर लगा वाटर एटीएम बंद पड़ा है। इससे मरीजों के साथ तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इतना ही संसद मार्ग पर लगे वाटर एटीएम खराब पड़ा है। इस पर अतिक्रमण भी हो गया है। यहां पर पटरी लगाने कपड़े भी बिक्री के लिए टांग लिए हैं। राहगीर सीमा ने बताया यहां का एटीएम तीन साल से बंद है। गर्मी में जब सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, तब यही सुविधाएं नहीं मिलतीं।

सिक्के डालकर मिलता था पानी

मजबूरी में दुकान से 20-30 रुपये देकर पानी खरीदना पड़ता है। एनडीएमसी ने इन वाटर एटीएम परियोजनाओं के लिए लाखों रुपये खर्च किए थे। हर मशीन की देखरेख और संचालन के लिए निजी कंपनियों को ठेका भी दिया गया था, लेकिन वर्तमान स्थिति यह दर्शाती है कि इनका रखरखाव पूरी तरह से नाकाम रहा है। न तो तकनीकी निरीक्षण होता है और न ही पानी की गुणवत्ता की जांच।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक अच्छी योजना थी जिसे सही तरीके से क्रियान्वित नहीं किया गया। यदि नियमित रखरखाव और निगरानी होती, तो लोगों को इसका लाभ मिल सकता था।उ ल्लेखनीय है कि एनडीएमसी ने जनाजल के सहयोग से वाटर एटीएम लगाए थे। इसके बाद एजेंसी के साथ करार खत्म हो गया तो अब एनडीएमसी स्वयं इन वाटर एटीएम का संचालन कर रही है। जहां पर कम दाम सिक्के डालकर पानी देने के लिए लगाए गए थे।