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लखनऊ
सरकार इस बार खरीफ सीजन में उत्पादन बढ़ाने के साथ उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर भी जोर देने जा रही है। कृषि विभाग द्वारा वर्तमान वर्ष के खरीफ सीजन के लिए बनाई गई रणनीति में 33.04 लाख टन उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इस बार 105.85 लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसलों की बुवाई की जाएगी, इससे 293.11 लाख टन उत्पादन हासिल करने का प्रयास होगा। बीते साल खरीफ सीजन में 260 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
विभाग इस बार धान के क्षेत्रफल में कमी करने जा रहा है, जबकि बाजरा, ज्वार, श्री अन्न, मक्का,दलहन और तिलहन के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी की जाएगी। इसके साथ मृदा की सेहत के अनुरूप उर्वरकों के उपयोग पर भी जोर दिया जाएगा।
बीते साल खरीफ सीजन में 103.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खाद्यान्न और तिलहनी फसलों की बुवाई की गई थी। इसमें 72.24 हेक्टेयर में धान चावल, 9.61 हेक्टेयर में बाजरा, 2.68 हेक्टेयर में ज्वार, 0.25 हेक्टेयर में श्रीअन्न, 5.42 हेक्टेयर में मक्का, 5.17 हेक्टेयर में दलहन और 8.21 हेक्टेयर में तिलहन बोया गया था।
इस बार विभाग धान का क्षेत्रफल 7.24 लाख हेक्टेयर कम किया जाएगा और 65 लाख हेक्टेयर में बुवाई की जाएगी, बीते साल 72.5 हेक्टेयर में बुवाई की गई थी। वहीं, इस बार बाजरा के लिए 1.67, ज्वार के लिए 0.33, अन्य श्री अन्य के लिए 0.01, मक्का के लिए 3.41, दलहन के लिए 3.81 और तिलहन के लिए 0.22 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल बढ़ाया जाएगा। फसलों का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश के साथ सरकार मिट्टी के सेहत बेहतर बनाने को भी पसीना बहाएगी।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार, पिछले सीजन में 52.39 लाख टन उर्वरक का उपयोग किया गया था। इस बार के लिए भी 59.17 लाख टन उर्वरक की मांग का अनुमान है और इसके हिसाब से व्यवस्था भी गई है, परंतु कोशिश होगी कि इनका उपयोग केवल जरूरत के अनुरूप ही किया जाए। पूर्व में हुए मृदा परीक्षणों में प्रदेश की मिट्टी में जीवांश कार्बन सामान्य से कम पाया गया है।
नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक एवं आयरन की कमी पाई जा रही है। ऐसे में बुवाई का समय आने से पहले प्रदेश भर में मृदा परीक्षण को अभियान चलाया जा रहा है। 11.56 लाख नमूने संकलित किए जा रहे हैं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाकर वितरण किए जा रहे हैं। कार्ड में 12 पोषक तत्वों की रिपोर्ट दी जाएगी और किसान को उसके हिसाब से उर्वरक के उपयोग की सलाह दी जाएगी।