2006 में अली काजमी से शादी के बाद वह 2007 में अमेरिका शिफ्ट हो गए। सबा ने कहा कि अमेरिका में आने के बाद उन्होंने विभिन्न सामाजिक कार्यों में भाग लिया। योग प्रशिक्षण दिया। उन्हें पब्लिक हेल्थ बोर्ड, इंडियन प्रेयरी एजुकेशनल फाउंडेशन, और इंडियन प्रेयरी पेरेंट्स काउंसिल जैसे संगठनों में नेतृत्व के अवसर मिले।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

सबा हैदर गाजियाबाद के चित्रगुप्त विहार में सैयद हैदर की इकलौती बेटी हैं। सबा के दो भाई अब्बास हैदर और जीशान हैदर हैं। उनकी मम्मी महजबीं हैदर गरीब बच्चों को शिक्षा देती हैं।

सबा हैदर ने गाजियाबाद के होली चाइल्ड स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की, फिर राम चमेली चड्डा विश्वास गर्ल्स कॉलेज से बीएससी में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
इसके बाद, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से वाइल्डलाइफ साइंसेज में एमएससी किया, जिसमें भी गोल्ड मेडल हासिल किया। 2006 में मेरी शादी अली काजमी से हुई और 2007 में हम अमेरिका शिफ्ट हो गए।

महिलाओं, बेसहारा पशु और बुजुर्गों के लिए विशेष योजनाएं

सबा हैदर बताती हैं कि उनकी प्राथमिकता वाली योजनाओं में घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए सहायता केंद्रों की स्थापना कराना, बुजुर्गों के लिए निश्शुल्क आवासीय नर्सिंग होम व बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना, बेसहारा पशुओं को चिकित्सा के साथ ही शेल्टर होम की स्थापना कराना, जरूरतमंदों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन प्रदान करना है।

सड़क, हाईवे, चिकित्सा, शिक्षा और पर्यावरण के लिए काम कर रही हैं। क्षेत्र में विकास व योजनाओं के लिए 650 मिलियन डालर का सालाना बजट है। वह चार वर्ष के लिए चुनी गई हैं, जिसमें वह अपने वादों को पूरा करने के लिए हर दूसरे माह कार्यों की मॉनिटरिंग करती हैं।

RTI के तहत देनी पड़ती है टेक्स्ट मैसेज तक की जानकारी

सबा हैदर ने बताया कि अमेरिका में प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। वहां की आरटीआई व्यवस्था इतनी मजबूत है कि यदि कोई नागरिक किसी सरकारी अधिकारी या नेता के टेक्स्ट मेसेज की भी जानकारी मांगता है, तो उसे वह जानकारी उपलब्ध करानी होती है। अमेरिका में सियासत केवल भाषणों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर शब्द और हर कार्य को पूरी जिम्मेदारी से निभाना पड़ता है।