Karthikeya-Amanat Wedding: शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय का विवाह जोधपुर के उम्मेद भवन पैलेस में कल यानी छह मार्च को होगा। शादी में 300 से अधिक वीवीआईपी मेहमान शामिल होंगे।
राजस्थान की शान, जोधपुर का ऐतिहासिक उम्मेद भवन पैलेस एक बार फिर एक शाही आयोजन का गवाह बन रहा है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय की शादी अमानत के साथ इस भव्य महल में हो रही है। इस शादी को यादगार बनाने के लिए देश-विदेश के मेहमानों के पहुंचने का सिलसिला जारी है।
इस आलीशान महल में ठहरने का किराया भी उतना ही भव्य है। जहां डीलक्स रूम की कीमत 42,600 रुपये प्रति रात्रि है, वहीं महारानी सुइट में ठहरने का किराया आठ लाख रुपये से अधिक है। उम्मेद भवन पैलेस न केवल अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। बल्कि यह देश-विदेश की मशहूर हस्तियों की शादी और भव्य आयोजनों के लिए भी प्रसिद्ध है।
उम्मेद भवन पैलेस की भव्यता
राजस्थान की मारवाड़ी रियासत की राजधानी जोधपुर में स्थित यह पैलेस अपनी राजसी शान और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस महल में कुल 347 कमरे हैं। इसमें एक निजी मीटिंग हॉल, डाइनिंग हॉल और कई बड़े हॉल और आंगन हैं। उम्मेद भवन पैलेस का डिज़ाइन भारतीय और यूरोपीय स्थापत्य कला का मिश्रण है। इस महल का केंद्रीय गुंबद पुनर्जागरण शैली से प्रेरित है, जबकि मीनारें राजपूत स्थापत्य कला की झलक देती हैं।
ऐतिहासिक आयोजन जो बने यादगार
उम्मेद भवन पैलेस कई बड़े और हाई-प्रोफाइल आयोजनों का गवाह रहा है। प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस की शाही शादी इसी महल में हुई थी। हॉलीवुड अभिनेत्री लीज़ हर्ले और अरुण नैय्यर की शादी भी यहां संपन्न हुई थी। 2013 में मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी का जन्मदिन भी इसी पैलेस में दो दिनों तक भव्य आयोजन के रूप में मनाया गया था। हाल ही में गौतम अदाणी के भाई का जन्मदिन भी इस पैलेस में मनाया गया था।
अब इसी कड़ी में कार्तिकेय और अमानत की शादी इस महल में हो रही है, जो एक और भव्य आयोजन के रूप में इतिहास में दर्ज हो जाएगी। इस महल का निर्माण महज शाही शान-ओ-शौकत के लिए नहीं हुआ था, बल्कि यह एक सामाजिक उद्देश्य से भी जुड़ा है। 1920 के दशक में जब राजस्थान के इस इलाके में भयंकर अकाल पड़ा, तो हजारों लोगों ने तत्कालीन महाराज उम्मेद सिंह से मदद की गुहार लगाई। महाराज उम्मेद सिंह ने लोगों को रोजगार देने और उन्हें आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए 1929 में इस भव्य महल के निर्माण की नींव रखी। करीब 3000 मजदूरों ने इस महल के निर्माण में काम किया। निर्माण की गति धीमी रखी गई ताकि ज्यादा दिनों तक लोगों को रोजगार मिल सके।