होलाष्टक 7 मार्च से 13 मार्च तक रहेगा
होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होकर 13 मार्च तक चलेगा, यानी होलिका दहन तक इसकी अवधि रहेगी। पंडितों के अनुसार, इस बार होलाष्टक का आरंभ मृगशिरा नक्षत्र और वृषभ राशि में चंद्रमा की स्थिति में होगा। इस दौरान आठ विशेष रात्रियां होती हैं, जो तंत्र-मंत्र और साधना के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती हैं। इनमें सिद्ध रात्रि, काल रात्रि और मोह रात्रि प्रमुख हैं, जो पर्व काल में और भी अधिक शक्तिशाली मानी जाती हैं।
14 मार्च से खरमास होगा प्रारंभ
होलिका दहन के साथ होलाष्टक समाप्त हो जाएगा, लेकिन इसके अगले ही दिन यानी 14 मार्च से खरमास की शुरुआत होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास लगता है। इस बार 14 मार्च को शाम 6:50 बजे सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा, जिससे खरमास प्रारंभ हो जाएगा। यह 14 अप्रैल की रात 10:36 बजे तक चलेगा।
खरमास में क्यों नहीं होते शुभ कार्य?
पुरानी मान्यताओं के अनुसार, खरमास के दौरान शुभ या मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार जैसे कार्य नहीं किए जाते। हालांकि, वर्तमान समय में कुछ लोग इस मान्यता का पालन नहीं करते और शुभ कार्य करने लगे हैं। कुछ पंडित इसे सकारात्मक बदलाव भी मानते हैं।
इंदौर में रंगारंग फागोत्सव का आयोजन
इंदौर में होली के रंगों का उल्लास 7 मार्च को देखने को मिलेगा। राजपूत समाज युवा चेतना मंडल द्वारा महाकाल परिसर, कनकेश्वरी देवी मैदान के समीप शाम 5 बजे से भव्य फाग उत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में मथुरा-वृंदावन के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। भजन और पारंपरिक मालवी गीतों के साथ उत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर 500 से अधिक राजपूत परिवार शामिल होंगे और दो क्विंटल फूलों से होली खेली जाएगी।
राशियों पर पड़ेगा ऐसा प्रभाव
होलाष्टक और खरमास के इस संयोग का प्रभाव राशियों पर भी देखा जाएगा।
– **मेष:** पराक्रम में वृद्धि होगी।
– **वृषभ:** विद्या लाभ होगा।
– **मिथुन:** साहस में वृद्धि हो सकती है।
– **कर्क:** प्रबंधन में तरक्की मिलने की संभावना है।
– **सिंह:** निराशा का अंत होगा।
– **कन्या:** वैचारिक असमंजस दूर होगा।
– **तुला:** संघर्ष बढ़ेगा, लेकिन सफलता मिलेगी।
– **वृश्चिक:** धर्म लाभ होने की संभावना है।
– **धनु:** मेहनत बढ़ेगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
– **मकर:** लाभ में वृद्धि की संभावना है।
– **कुंभ:** स्थिरता बढ़ेगी।
– **मीन:** प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
संयोग से बढ़ी धार्मिक साधना की महत्ता
होलाष्टक और खरमास के संयोग को धार्मिक और आध्यात्मिक साधना के लिए विशेष माना जाता है। इन दिनों में मंत्र साधना, जप-तप, यज्ञ और दान-पुण्य करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
35 दिन का रहेगा खरमास
इस बार होलाष्टक और खरमास का संयोग 35 दिनों तक रहेगा, जिसके कारण विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे। हालांकि, धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव पहले की तरह ही मनाए जाएंगे। इस दौरान राशियों पर भी अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय आध्यात्मिक साधना और भक्ति के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है।