निवेशकों की सुरक्षा और बड़े आईपीओ को आसान बनाने के लिए बाजार नियामक सेबी नए नियम लागू करने जा रहा है। इन बदलावों का असर आईपीओ, म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार की ट्रेडिंग तक दिखाई देगा। सेबी का कहना है कि इन सुधारों से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और बाजार का दायरा भी विस्तृत होगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बड़े आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) को आसान बनाने और निवेशकों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की है। सेबी के पूर्णकालिक निदेशक कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने बताया कि नियामक ने एक परामर्श पत्र जारी किया है, जिसमें अत्यधिक बड़ी कंपनियों के लिए 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी हासिल करने की समयसीमा 5 साल से बढ़ाकर 10 साल करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस बदलाव से बड़ी कंपनियों को सूचीबद्ध होना आसान होगा और निवेशकों के पास निवेश के अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे। वार्ष्णेय ने कहा कि इस कदम से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जैसे बड़े आईपीओ की राह भी आसान हो जाएगी।
आईपीओ मूल्यांकन और निवेशकों की सुरक्षा
सेबी ने मर्चेंट बैंकर और एंकर निवेशकों से यथार्थवादी मूल्यांकन अपनाने की अपील की है ताकि सूचीबद्ध होने के बाद शेयर कीमतों में गिरावट से बचा जा सके। नियामक का मानना है कि इससे खुदरा निवेशकों का भरोसा मजबूत रहेगा।
इसके साथ ही सेबी ने अपंजीकृत निवेश सलाहकारों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर भी कार्रवाई तेज कर दी है, जो भ्रामक स्टॉक टिप्स देकर खुदरा निवेशकों को गुमराह करते हैं
फेसबुक विज्ञापनों पर नजर
सेबी ने मेटा (फेसबुक की पेरेंट कंपनी) के साथ साझेदारी की है ताकि केवल पंजीकृत इकाइयां ही बाजार से जुड़ी सामग्री का प्रचार कर सकें। अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के साथ भी इस तरह की साझेदारी की योजना है। इसका उद्देश्य फेसबुक और सोशल मीडिया पर चल रहे भ्रामक विज्ञापनों व स्टॉक रील्स पर शिकंजा कसना है।
निवेशकों के पैसे की सुरक्षा
सेबी ने सभी म्यूचुअल फंड हाउस को निर्देश दिया है कि वे फर्जी तरीके से निवेशकों का पैसा निकालने वालों पर सख्ती करें। हाल के महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।