जब भी कीमती धातुओं की बात होती है, तो ज़्यादातर लोगों के दिमाग में सोना (Gold) और चांदी (Silver) का नाम आता है। निवेश, शादी-ब्याह, या पारंपरिक विरासत में इनका अपना एक विशेष स्थान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी धातु भी है जिसकी कीमत सोने से कई गुना ज्यादा है, और जो बेहद कम लोगों को ही पता होती है? इस दुर्लभ और महंगी धातु का नाम है – रोडियम (Rhodium)।
क्या है रोडियम?
रोडियम एक दुर्लभ, चांदी जैसी चमकदार धातु है जो रासायनिक रूप से प्लैटिनम ग्रुप मेटल्स (PGMs) का हिस्सा है। इसका रासायनिक संकेत Rh और एटॉमिक नंबर 45 है। यह न तो ऑक्सीकृत होता है, न जंग लगता है, और न ही सामान्य तापमान पर रासायनिक प्रतिक्रिया करता है – यही वजह है कि यह धातु कई हाई-टेक और औद्योगिक क्षेत्रों में अनमोल मानी जाती है।
कहां मिलता है रोडियम?
रोडियम पृथ्वी की ऊपरी परतों में बेहद कम मात्रा में पाया जाता है। यह मुख्य रूप से प्लैटिनम और निकल की खदानों में सह-उत्पाद (by-product) के रूप में मिलता है। इसे सीधे खनन नहीं किया जा सकता, बल्कि अन्य धातुओं से अलग करने के लिए जटिल और महंगे रासायनिक प्रक्रियाओं का इस्तेमाल होता है।
दुनिया में रोडियम के प्रमुख उत्पादक देश हैं:
- दक्षिण अफ्रीका – दुनिया के लगभग 80% रोडियम का उत्पादन यहीं होता है
- रूस
- कनाडा
- ज़िम्बाब्वे
- अमेरिका
रोडियम का इस्तेमाल कहां होता है?
रोडियम की चमक, ताकत और जंग न लगने की क्षमता इसे कई औद्योगिक और सजावटी उपयोगों के लिए उपयुक्त बनाती है।
मुख्य उपयोग:
- कैटलिटिक कनवर्टर में (Automotive Industry):
रोडियम का सबसे बड़ा उपयोग वाहनों के कैटलिटिक कनवर्टर में होता है, जो गाड़ियों से निकलने वाली जहरीली गैसों (NOx) को कम करता है। यह एग्जॉस्ट को कम हानिकारक बनाने में मदद करता है। - ज्वेलरी इंडस्ट्री:
सोने और चांदी के आभूषणों पर रोडियम की कोटिंग करके उन्हें ज्यादा चमकदार, टिकाऊ और स्क्रैच-रेजिस्टेंट बनाया जाता है।
विशेषकर व्हाइट गोल्ड ज्वेलरी में इसकी कोटिंग आम है। - इलेक्ट्रॉनिक्स:
रोडियम का उपयोग कनेक्टर्स, सर्किट्स, और विशेष रूप से माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है, जहां मजबूत और विश्वसनीय संपर्क जरूरी होता है। - वैज्ञानिक उपकरण:
अत्यधिक तापमान और रासायनिक प्रक्रियाओं को सहन करने वाले उपकरणों में इसका उपयोग होता है।
रोडियम की कीमत कितनी है?
रोडियम की कीमतें समय और मांग के हिसाब से तेज़ी से बदलती हैं।
वर्ष | औसत कीमत (USD प्रति औंस) | अनुमानित INR (₹ में) |
---|---|---|
2016 | ~$700 | ~₹60,000 |
2020 | ~$10,000 | ~₹7.5 लाख |
2021 (उच्चतम स्तर) | $29,000+ | ₹25-26 लाख प्रति औंस |
2025 (अगस्त)* | ~$22,300 प्रति ग्राम | ~₹6.25 लाख प्रति औंस |
तुलना के लिए, 24 कैरेट सोना ~₹11,000 प्रति ग्राम है। यानी रोडियम सोने से लगभग दोगुना महंगा है।
(नोट: ताज़ा रेट्स मार्केट पर निर्भर करते हैं)
दुर्लभ धातुओं का संकट – भविष्य के लिए चेतावनी
रोडियम जैसे मेटल को “Rare Earth Metals” नहीं बल्कि “Rare Precious Metals” की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन स्थिति गंभीर है – कई धातुएं जैसे इंडियम, प्लैटिनम, और चांदी के भी अगले 10–20 सालों में खत्म हो जाने की आशंका जताई जा रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार:
- इंडियम – 10 साल में संकटग्रस्त
- प्लैटिनम – 15 साल
- चांदी – 20 साल
भविष्य में इन धातुओं का मूल्य और अधिक बढ़ सकता है।
क्या है समाधान? – रीसाइक्लिंग ही है रास्ता
नई खदानें खोलने और खनन करने की तुलना में, पुराने उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स से इन मेटल्स को रीसायकल करना एक बेहतर और पर्यावरण-सम्मत विकल्प है।
किन चीजों से निकाले जा सकते हैं ये मेटल?
- पुराने मोबाइल फोन
- कंप्यूटर मदरबोर्ड
- कारों के इंजन और कैटलिटिक कनवर्टर
- टीवी और अन्य घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स
इससे न केवल मेटल की आपूर्ति बनाए रखी जा सकती है, बल्कि ई-वेस्ट की समस्या से भी निपटा जा सकता है।