जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी (JeI) और फलाह-ए-आम ट्रस्ट (FAT) से जुड़े 215 स्कूलों का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का आदेश दिया। इस पर शिक्षा मंत्री सकीना इत्तू ने कहा कि उन्होंने डिप्टी कमिश्नरों को ये स्कूल अपने अधीन लेने का आदेश नहीं दिया था।
मंत्री सकीना इत्तू ने बताया कि उनका आदेश केवल यह था कि इन स्कूलों की देखरेख तीन महीने तक नज़दीकी सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों द्वारा की जाए, क्योंकि इन स्कूलों की मैनेजमेंट कमेटी की अवधि समाप्त हो चुकी थी।
उन्होंने कहा कि लगभग 221 स्कूलों को CID ने निगेटिव वेरिफिकेशन दिया था, और इनकी मैनेजमेंट कमेटी की अवधि काफी पहले ही समाप्त हो चुकी थी। इन स्कूलों को पंजीकरण में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था और 51,000 से अधिक छात्रों का भविष्य संकट में था। इसलिए उन्होंने आदेश में कहा था कि नज़दीकी सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल इन स्कूलों की देखरेख करें।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्होंने डिप्टी कमिश्नरों को स्कूलों का कब्जा लेने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सेक्रेटरी ने आदेश में गलती से लिखा कि डिप्टी कमिश्नर स्कूलों को संभालें। जो आदेश जारी हुआ है, वह बिल्कुल वैसा नहीं है जैसा उन्होंने लिखा था।
वहीं, पीपल्स कॉन्फ़्रेंस के अध्यक्ष और हंदवाड़ा के विधायक साजिद गनी लोने ने ओमर अब्दुल्ला सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि स्कूलों पर जबरदस्ती कब्जा किया गया है और चुनी हुई सरकार इन कार्रवाइयों की पूरी जिम्मेदार है।
साजिद लोने ने अपने X पोस्ट में लिखा कि चुनी हुई सरकार ने यह आदेश पास किया है। इस सरकार में शर्म और बेहया होने की नई परिभाषा बन गई है। वे पुराने समय की तरह विरोधियों के खिलाफ उठाए गए कदमों में भी बराबरी के साझेदार हैं।