राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी है। घरेलू बिजली आपूर्ति अब और भी भरोसेमंद और निरंतर होगी। राज्य की बिजली व्यवस्था को निजी कंपनियों को सौंपने के लिए शुरू किया गया हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (हेम) योजना शुरू होने से पहले ही रुक गई। इस वजह से बिजली कंपनियां वापस अपने पुराने और सफल माने जाने वाले आरडीएसएस (रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) मॉडल पर लौट आई हैं।
आरडीएसएस मॉडल के तहत बिजली वितरण में सुधार और उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा कदम है घरेलू और कृषि फीडरों का अलग-अलग किया जाना। यह कार्य जयपुर डिस्कॉम के 15 सर्कल में करीब 1325 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। इस योजना में कुल 1244 फीडर शामिल हैं, जिनकी क्षमता 33 केवी है। इन फीडरों को घरेलू उपभोक्ताओं और कृषि उपभोक्ताओं के लिए अलग-अलग किया जाएगा।
इस पहल का मकसद बिजली की आपूर्ति में संतुलन बनाए रखना और हर घर तक निर्बाध बिजली पहुंचाना है। फीडर सेग्रीगेशन की योजना के तहत सबसे अधिक काम जयपुर ग्रामीण, भिवाड़ी, दौसा, धौलपुर और बारां जिलों में होगा। इस प्रक्रिया से घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे लगातार बिजली मिल सकेगी, जिससे उनकी बिजली से जुड़ी परेशानियां काफी हद तक कम होंगी।