इंदौर। 7 जुलाई को वर्ल्ड चॉकलेट डे के मौके पर लोगों ने चॉकलेट के प्रति अपने प्रेम और नए आइडिया से एक बार फिर सबको चौंका दिया। चॉकलेट न केवल मिठास का प्रतीक है। यह अब लोगों के जीवन में खुशी और रिश्तों की मजबूती का माध्यम भी बन चुकी है।
शोध बताते हैं कि डार्क चॉकलेट का सीमित सेवन हैप्पी हार्मोन को प्रभावित करता है, जिससे तनाव कम होता हैऔर मन खुश रहता है। चॉकलेट अब खान-पान और परंपरा दोनों का हिस्सा बन चुका है।
शहर में चॉकलेट के बढ़ते कारोबार की मिठास
इंदौर कंफेक्शनरी मैन्युफैक्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश चौधरी के अनुसार शहर में चॉकलेट का व्यवसाय तेजी से बढ़ा है। यहां लगभग 30 चॉकलेट फैक्ट्रियां हैं, जहां प्रतिदिन 60 से 70 टन चॉकलेट का निर्माण होता है। इससे रोजाना 100 से 125 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। अच्छी बात यह है कि इंदौर में बनने वाली चॉकलेट देश-विदेश तक जाती हैं।
मिठाइयों और व्यंजनों में भी घुली चॉकलेट
मिठाई नमकीन एसोसिएशन के सचिव अनुराग बोथरा बताते हैं कि शहर में तैयार होने वाली कुल मिठाइयों में 4-5% हिस्सा अब चॉकलेट बेस्ड मिठाइयों का हो गया है। व्हाइट चॉकलेट हनी अलमंड, डार्क चॉकलेट हनी अलमंड, चॉकलेट पाक, खोपरा चॉकलेट, चॉकलेट पिस्ता लड्डू और चॉकलेट लोटस बर्फी जैसे उत्पाद लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं।
मामा नामा चॉकलेट बनी इंदौर की पहचान
संजना अरोरा द्वारा तैयार की जाने वाली मामा नामा चॉकलेट अब इंदौरियों की पसंदीदा बन गई है। जापानी शब्द ‘नामा’ का अर्थ होता है ताजा और यह चॉकलेट भी वैसी ही है। कमरे के तापमान पर 15 मिनट में पिघल जाने वाली यह क्रीम बेस्ड चॉकलेट शुद्ध काकाओ से तैयार की जाती है। यह उपहार के रूप में खूब खरीदी जा रही है।
चॉकलेट सैंडविच का क्रेज
कौशल परमार बीते 18 वर्षों से चॉकलेट सैंडविच बना रहे हैं, जिसमें चॉकलेट सॉस, मिल्कमेड और बटर का उपयोग होता है। युवाओं में इसकी खास मांग है। स्वीट सैंडविच कैटेगरी में चॉकलेट सैंडविच सबसे ऊपर है।
चॉकलेट सेहत का भी रखती है ख्याल
हॉर्मोन विशेषज्ञ डॉ. अभ्युदय वर्मा के अनुसार डार्क चॉकलेट का सीमित सेवन सेहत के लिए फायदेमंद है। यह हैप्पी हार्मोन को उत्तेजित करती है और कोर्टिसोल जैसे तनावकारक हार्मोन को कम करती है। इससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है और हृदय रोग का खतरा भी घटता है। एक दिन में 25 से 30 मिलीग्राम डार्क चॉकलेट या सप्ताह में 300-400 मिलीग्राम की मात्रा लाभकारी है।
सात जुलाई को क्यों मनाया जाता है चॉकलेट डे?
इतिहास के अनुसार 1500 के दशक में पहली बार यूरोप में चॉकलेट पहुंची थी और तब यह सिर्फ शाही परिवार के लिए ही उपलब्ध थी। अब यह सभी वर्गों की पसंद बन चुकी है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को खुश करना और जीवन में मिठास घोलना है।
नवाचार और परंपरा का अद्भुत मेल
इंदौर की खास बात यह है कि यहां चॉकलेट अब सिर्फ खाने की वस्तु नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। शादी के निमंत्रण पत्रों से लेकर कॉर्पोरेट गिफ्ट तक में चॉकलेट की मौजूदगी बताती है कि कैसे यह शहर स्वाद और परंपरा दोनों को एक साथ संजोए हुए है।