प्रेस कान्फ्रेंस में जीआरपी के सीओ उदय प्रताप सिंह ने बताया कि रेलवे पुलिस की सक्रियता से बच्ची को शाम को 5.32 बजे सकुशल बरामद कर लिया। पकड़े गए युवक का नाम बिहार के गया जिले के थाना हसवा के गांव बगौदर का बिरजी मांझी है। टीम में इंस्पेक्टर जीआरपी संदीप तोमर, थाना प्रभारी इटावा शैलेष निगम, एसआइ राजेश सिंह, आरपीएफ के एसआइ उमेश चंद्र. महिला कांस्टेबल मोनिका सहित क्राइम ब्रांच की टीम व अन्य सदस्य शामिल रहे।

इस तरह मिली थी सफलता

इस बच्ची को बरामद करने के लिए चार टीमें लगाई गईं थी। एक टीम ने स्टेशन परिसर के सीसीटीवी कैमरों की चेकिंग की। दूसरी टीम शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों को खंगाला। तीसरी टीम शहर के रोडवेज और प्राइवेट बस स्टेैंडों पर दौड़ाई गई। चौथी टीम स्टेशन परिसर में सर्विलांस की मदद से आरोपित को खोजने में लगी रही। दूसरी ओर दिल्ली और कानपुर की ओर जीआरपी और आरपीए के सभी चौकी और थानों को चेकिंग करने के लिए अलर्ट कर दिया गया था।

बरामद होने के बाद बच्ची को मां से दूर रखा

मां की हालत को देखते हुए बच्ची को मां से दूर रखा गया। पुलिस को यह डर था कि कहीं बच्ची को लेकर भाग न जाए। थाना परिसर में बच्ची अलग बैठी हुई थी। आरोपित भी पुलिस हिरासत में था।

आरोपित बोला, घर ले जा रहा था आरोपित

बिरजी मांझी ने बताया कि जिस समय बच्ची को ले गया था। उस समय वह खेल रही थी। उससे पूछा कि बच्ची मिली तो उसे पुलिस के पास क्यों नहीं ले गया। उसका जबाव नहीं दे पाया। जबकि बच्ची और आरोपित दोनों अलग-अलग जिले के थे और उनमें कोई रिश्ता भी नहीं था।

बच्ची से लिपट गई मां, आंखों में भर लाई आंसू

बच्ची रूपा को पाकर मां की खुशी का ठिकाना नहीं था। वह उसे गोद लेकर लिपट गई और आंखों में आंसू भर लाई। बात करते समय बोली कि मेरे पास खेल रही थी तभी कोई ले गया। अब मुझे घर जाना है। मैं घर कैसे जाऊंगी। मेरे पास पैसे नहीं है। रेलवे पुलिस ने उसे घर तक पहुंचाने का वायदा किया।