2.4kViews
1005
Shares
लखनऊ
UP Government Strict on Adulteration and Fake Medicines असुरक्षित खाद्य पदार्थ तथा बिना लाइसेंस खाद्य पदार्थों की बिक्री के मामले में कारावास की सजा का प्राविधान है। ऐसे मामलों में तीन साल तक की सजा का प्रविधान है। वहीं नकली दवाओं की बिक्री के मामले में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रविधान है।
असुरक्षित खाद्य पदार्थों तथा नकली दवाओं का कारोबार करने वालों के खिलाफ मुकदमें अब तेजी से दर्ज कराए जा सकेंगे। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने ऐसे मामले जिनमें कारावास का प्रविधान है उनमें वाद (मुकदमा) की स्वीकृति के लिए आयुक्त से अनुमति लेने की बाध्यता को समाप्त कर दिया है। अब मंडल मुख्यालयों पर तैनात मंडलीय सहायक आयुक्त (खाद्य) अनुमति देने के लिए अधिकृत कर दिए गए हैं।
यह व्यवस्था 16 जून से प्रभावी हो जाएगी। इस आशय का पत्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त राजेश कुमार ने जारी करते हुए लिखा है कि कारावास से दंडनीय अपराधों के प्रकरणों में वाद स्वीकृति के लिए मंडलीय सहायक आयुक्त (खाद्य) को मंडल में आने वाले जिलों से संबंधित प्रकरणों के लिए वाद स्वीकृति की शक्ति दी जा रही है। मौजूदा व्यवस्था में कारावास की सजा वाले प्रकरणों में वाद की स्वीकृति के लिए पूरे प्रदेश के अधिकारियों को राज्य मुख्यालय पर आयुक्त खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पास आना पड़ता था। सोमवार 16 जून से जिले के अधिकारियों की यह भागदौड़ समाप्त हो जाएगी।
गौरतलब है कि असुरक्षित खाद्य पदार्थ तथा बिना लाइसेंस खाद्य पदार्थों की बिक्री के मामले में कारावास की सजा का प्राविधान है। ऐसे मामलों में तीन साल तक की सजा का प्रविधान है। वहीं नकली दवाओं की बिक्री के मामले में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रविधान है। इन मुकदमों की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में होती है। अन्य सभी मामले जिसमें सजा का प्रविधान नही है उन मामलों की सुनवाई अपर जिलाधिकारी के न्यायालय में होती है। ऐसे मामलों में अधिकतम दस लाख रुपये तक जुर्माने का प्रविधान है।