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मोरना (मुजफ्फरनगर)
पिता एक उम्मीद है एक आस है, परिवार की हिम्मत और विश्वास है। पिता एक वट वृक्ष है, जिसकी शीतल छांव में संपूर्ण परिवार सुख से रहता है। बच्चों की कामयाबी में माता-पिता दोनों का अहम योगदान होता है। बेटा हो या बेटी उनको कामयाब बनाने के लिए माता-पिता रात दिन मेहनत करते है।
फादर-डे हमने तलाशा ऐसा परिवार जिसमें पिता ने खेतों में पसीना बहाकर तीनों बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाकर क्षेत्र लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है, जिनमें एक बेटी ने आइआइटी दिल्ली से पीएचडी कर ली है, जबकि बेटा आइआइटी इंदौर से पीएचडी कर रहा है। वहीं बड़ी बेटी ने भी अपने पिता का नाम रोशन करते हुए एलएलएम करने के बाद नेट क्वालिफाई कर लिया है। पिता को अपने तीनों बच्चों पर नाज है।
विकास खंड मोरना क्षेत्र के गांव छछरौली निवासी किसान ठाकुर अमनपाल व पत्नी लवकेश के यहां सोनम चौहान, लीना चौहान व कुशाग्र प्रताप राणा ने जन्म लिया। किसान पिता ने ठान लिया कि वह स्वयं तो उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके लेकिन अपने तीनों बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाकर कामयाबी की सीढ़ी तक पहुंचाएंगे और खेतों में दिन रात कड़ी मेहनत की।
इंटरमीडिएट तक की शिक्षा दिलाने के बाद वर्ष 2013 में तीनों बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए मां लवकेश देवी के साथ मेरठ भेज दिया जहां पर किराए के मकान में रहकर तीनों ने पढ़ाई शुरू की। और खुद गांव में रहकर खेती करते रहे।
जिसके बाद पिता की मेहनत रंग लाई व छोटी बेटी लीना चौहान ने पिता के सपनों को साकार करते हुए चौधरी चरणसिंह यूनिवर्सिटी से बीएससी व एमएससी करने के बाद 2017 में जेआरएफ नेट और गेट क्वालिफाई किया तथा ऑल इंडिया में 74वीं रैंक हासिल कर पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।
सन 2018 में लीना ने आईआईटी दिल्ली में दाखिला लेकर ड्रग डिस्कवरी के लिए बैक्टीरिया पर शोध कार्य कर 2025 में पीएचडी की डिग्री हासिल की। वहीं बेटे कुशाग्र ने भी अपनी मेहनत और लगन से चौधरी चरणसिंह यूनिवर्सिटी से बीएससी व एमएससी की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने बाद 2024 में कैमिकल साइंसेज परीक्षा में सीएसआईआर नेटजेआरएफ परीक्षा में देश भर में 88वीं रैंक हासिल की।
फिलहाल वह आईआईटी इंदौर में दाखिला लेकर कैमिस्ट्री विषय में पीएचडी कर रहा है। वहीं बडी बेटी सोनम चौहान ने एलएलएम करने के बाद 2025 में इतिहास विषय में नेट क्वालिफाई करते हुए पिता के गौरव को और बढ़ा दिया है। फिलहाल वह पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया में जुटी हुई है। तीनों बच्चे अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देते हैं।