भारत के दोनों देशों के साथ मित्रवत संबंध हैं और हम मौजूदा हालात को लेकर किसी भी तरह की मदद देने को तैयार हैं। दोनों देशों में हमारा मिशन नागरिकों के साथ संपर्क में हैं। हम सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रहने और स्थानीय सुरक्षा सलाहों का पालन करने की  सलाह देते हैं।”

महंगा क्रूड-बड़ी मुसीबत

खाड़ी के हालात बिगड़ने पर हमेशा से कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ा देते हैं। लंबे समय से काफी नरमी के माहौल में रहने वाले कच्चे तेल की कीमत इजरायल-ईरान विवाद के बाद शुक्रवार को नौ फीसद महंगे हो कर 75 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गये हैं। यह हाल के महीनों में किसी एक दिन में क्रूड की कीमतों में सबसे बड़ी वृद्धि है। भारत अपनी  जरूरत का 86 फीसद कच्चा तेल बाहर से आयात करता है।

इसमें 60 फीसद कच्चा तेल खाड़ी के देशों से आता है। क्रूड का सस्ता होना हमेशा भारतीय इकोनमी के लिए फायदे का सौदा होता है। महंगा क्रूड ना सिर्फ देश में पूंजी खाते के घाटे (आयात पर होने वाले विदेशी मुद्रा के खर्चे और निर्यात से विदेशी मुद्रा की कमाई का अंतर) को बढ़ाता है बल्कि इसका असर देश की महंगाई दर पर भी दिखाई देता है।

चाबहार की प्रगति की मुश्किल

ईरान के चाबहार  पोर्ट का निर्माण भारत की कूटनीतिक जरूरतों के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। हाल ही में भारत ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से बात की है कि कैसे चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान को जोड़ने की योजना को आगे बढ़ाया जाए।

पिछले हफ्ते नई दिल्ली में भारत व मध्य एशियाई वार्ता हुई है जिसमें हिस्सा लेने के लिए मध्य एशिया के पांच प्रमुख देशों तजाखस्तान, तुर्केमिनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के विदेश मंत्री आये हुए थे। इस बैठक में चाबहार पोर्ट को मध्य एशियाई देशों से जोड़ने की योजना पर बात हुई। ईरान व इजरायल के बीच युद्ध की स्थिति  गंभीर होती है तो यह योजना खटाई में फिलहाल खटाई में पड़ सकती है।

दोनों सहयोगी, किसी एक चुनना मुश्किल:

भारतीय कूटनीति के लिए यह बहुत ही मुश्किल है कि वह ईरान और इजरायल में किसी एक देश को चुनें। आपरेशन सिंदूर के समय इजरायल एकमात्र देश है जिसने खुल कर भारत का समर्थन किया है। दूसरी तरफ ईरान को भारत खाड़ी क्षेत्र में अपनी दीर्घावधि हितों के लिए जरूरी मानता है।

अमेरिका के दबाव को दरकिनार कर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जनवरी, 2024 में तेहरान की यात्रा की थी। उसके पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तेहरान गये थे। अक्टूबर, 2024 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी की ईरान के राष्ट्रपति मसूज पेजेशकियां से मुलाकात की थी।
मई 2025 में ईरान के विदेश मंत्री ने नई दिल्ली का दौरा किया था। ईरान व अमेरिका में परमाणु मुद्दे पर वार्ता की शुरुआत के साथ भारत ने ईरान के साथ अपने संबंधों को और तेज करने का मंसूबा बनाया था।