भारत की चिंता की ये सबसे बड़ी वजह
खाड़ी क्षेत्र में एक करोड़ भारतीयों की सुरक्षा
सबसे पहले तो ईरान-इजरायल के बीच इस लड़ाई के गंभीर होने की स्थिति में खाड़ी क्षेत्र में काम करने वाले 90 लाख से एक करोड़ भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा हो सकती है। इन भारतीयों ने पिछले साल ही करीब 45 अरब डॉलर की राशि भेजी है जो देश की इकोनमी में अहम भूमिका निभाती हैं।
महंगा क्रूड-बड़ी मुसीबत
खाड़ी के हालात बिगड़ने पर हमेशा से कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ा देते हैं। लंबे समय से काफी नरमी के माहौल में रहने वाले कच्चे तेल की कीमत इजरायल-ईरान विवाद के बाद शुक्रवार को नौ फीसद महंगे हो कर 75 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गये हैं। यह हाल के महीनों में किसी एक दिन में क्रूड की कीमतों में सबसे बड़ी वृद्धि है। भारत अपनी जरूरत का 86 फीसद कच्चा तेल बाहर से आयात करता है।
चाबहार की प्रगति की मुश्किल
ईरान के चाबहार पोर्ट का निर्माण भारत की कूटनीतिक जरूरतों के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। हाल ही में भारत ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से बात की है कि कैसे चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान को जोड़ने की योजना को आगे बढ़ाया जाए।
दोनों सहयोगी, किसी एक चुनना मुश्किल:
भारतीय कूटनीति के लिए यह बहुत ही मुश्किल है कि वह ईरान और इजरायल में किसी एक देश को चुनें। आपरेशन सिंदूर के समय इजरायल एकमात्र देश है जिसने खुल कर भारत का समर्थन किया है। दूसरी तरफ ईरान को भारत खाड़ी क्षेत्र में अपनी दीर्घावधि हितों के लिए जरूरी मानता है।