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आगरा
टेरिटोरियल आर्मी में नौकरी के नाम पर युवाओं से करोड़ों की ठगी का मास्टर माइंड दीपक शर्मा पुलिस के पहुंचने से पहले फरार हो गया। शातिर जम्मू के सांबा जिले में एक मंदिर में सेवक बनकर रहता था। मंदिर आने वाले युवाओं को बातों में फंसाकर शिकार बनाता था। आरोपित की तलाश में अब एसटीएफ के साथ आर्मी इंटेलिजेंस और जम्मू पुलिस भी जुट गई है। माना जा रहा है कि आरोपित की ठगी के और शिकार भी सामने आएंगे।
आगरा एसटीएफ ने शनिवार देर रात हरीपर्वत के आइएसबीटी के पास से ठगी गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। फिरोजाबाद का अजय कुमार, जम्मू कश्मीर के सांबा जिले का कुलवंत सिंह और सुनील कुमार 24 युवकों का फर्जी मेडिकल करवा कर टेरिटोरियल आर्मी का नकली ज्वाइनिंग लेटर देने वाले थे।
युवकों से पूछताछ में पंजाब के पठानकोट का दीपक शर्मा उर्फ डीके के मास्टरमाइंड होने की जानकारी मिली थी। दीपक ने ही युवकाें से रकम ली थी। पकड़े गए कुलवंत और सुनील को 50-50 हजार देकर आगरा लाने की जिम्मेदारी दी थी।अजय कुमार को फर्जी मेडिकल कराने का ठेका मिला था। अजय ने फिजियोथेरेपिस्ट शिकोहाबाद के रंजीत यादव से मेडिकल करने की डील की थी।
तीन आरोपित भेजे गए जेल
एसटीएफ इंस्पेक्टर के द्वारा हरीपर्वत थाने में मुकदमा दर्ज करवा तीनों को जेल भिजवाया गया था। एसटीएफ की पूछताछ में पीड़ितों ने बताया कि पठानकोट का दीपक शर्मा सांबा में एक मंदिर में सेवक बनकर रहता था। मंदिर आने वाले युवाओं को झांसे में लेने के बाद उसने यूट्यूब और अन्य इंटरनेट प्लेटफार्म पर झूठे आवेदन डालकर लोगों को जाल में फंसाता था। एसटीएफ ने आरोपित को पकड़ने के लिए जम्मू पुलिस से संपर्क किया।
पुलिस के पहुंचने से पहले उसे भनक लग गई और वह फरार हो गया। अब एसटीएफ,आर्मी इंटेलिजेंस और जम्मू पुलिस मिलकर आरोपित की तलाश कर रही है। गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। गैंग के द्वारा ठगी के अन्य शिकारों के भी सामने आने की आशंका जताई जा रही है।
एसीपी हरीपर्वत विनायक भोंसले ने बताया कि मुकदमा की विवेचना की जा रही है। अन्य जो भी दोषी पाए जाएंगे,उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
भूखे पीड़ितों को एसटीएफ ने खिलाया खाना
एसटीएफ की टीम ने आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद पीड़ितों से बातचीत की। अधिकांश ने परिचितों से कर्ज लेकर रकम देने की जानकारी दी। कई पीड़ित रुपयों की कमी के कारण भूखे-प्यासे थे। टीम ने सभी के भोजन की व्यवस्था की और सुरक्षित लौटने में मदद की। पीड़ितों ने यूपी पुलिस की कार्यशैली की प्रशंसा की है।